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मां और पत्नी में किसे चुनें? क्या आपके सामने भी है ये सवाल, ध्यान से पढ़ें पूरी खबर

संदीप गौतम, अनादि न्यूज़ डॉट कॉम। शादी किसी की भी लाइफ को बदल देती हैं, खासतौर से पुरुषों की। कहते हैं कि घर आई नई बहु को ही परिवार में सामंजस्य बैठाना पड़ता हैं, जबकि ऐसा नहीं है। पुरुषों को भी शादी के बाद रिश्तों में सामंजस्य बैठाना पड़ता है, खासतौर से मां और पत्नी के बीच। एक ओर उसकी मां है, जिसने उसे पाल-पोसकर बड़ा किया है और दूसरी ओर उसकी पत्नी हैं जो उसके लिए अपना सबकुछ छोड़कर आई हैं। ऐसे में मां और पत्नी की अनबन में वो परेशान होता हैं। ऐसे समय में लड़कों को समझ नहीं आता हैं कि वे क्या करें, क्योंकि किसी एक का साथ देना तनाव बढ़ाने का काम करता हैं। हम आपको कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं जिन्हें ध्यान में रखकर आप इस समस्या से बचकर निकल सकते हैं।

सलाह लें:

अपने पापा या किसी भी मैरिड फ्रेंड व रिश्तेदार से सलाह लें। चूंकि वे पहले से इस स्थिति को फेस कर चुके हैं, इसलिए वे जानते हैं कि क्या कहना या करना स्थिति को बिगाड़ सकता है और कैसे सिचुएशन को शांति के साथ संभाला जा सकता है, जो पत्नी-मां दोनों को खुश रख सके। हालांकि, ये बात ध्यान में रखें कि लोगों ने जो सलाह दी, उसे आंख बंद करके फॉलो न करें। उस पर थोड़ा विचार करें और दोनों के नेचर के हिसाब से बेहतर समाधान लेकर सामने आएं।

ये मत समझिए कि आपको पक्ष लेना चाहिए:

यह न मानें कि आपको पक्ष लेना चाहिए क्योंकि आप उन भावनाओं के प्रति सहानुभूति रख सकते हैं जो वे दोनों लड़ाई के बाद महसूस कर रहे हैं; यह मानने के बजाय कि एक व्यक्ति दोषी है और दूसरा पीड़ित है। आखिरकार वे दोनों एक ही परिवार के सदस्य हैं जिनका दिन खराब रहा है और वे परेशान महसूस कर रहे हैं।

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दूरी बनाना:

इसे लेकर आपको डरपोक कहा जा सकता है, लेकिन सच तो ये है कि ये सबसे अच्छा तरीका है खुद को फंसने से बचाने का। अगर कुछ ऐसा है जिस पर मां और पत्नी की एक सोच नहीं बैठ रही और वे आपसे पूछती हैं कि आपको किसकी राय बेहतर विकल्प लग रही, तो अपने कदम पीछे खींच लें। उन्हें कहें कि वे दोनों इस मामले की ज्यादा समझ रखती हैं और आपको यकीन है कि दोनों मिलकर बेहतर निर्णय पर पहुंच सकती हैं।

अलग-अलग बात करें:

अगर आपको लगता है कि कोई ऐसी स्थिति है, जिसमें किसी एक का पीछे हो जाना घर की शांति बरकरार रख सकता है, तो बात करने से हिचकिचाएं ना। मां व पत्नी की पसंद अलग-अलग है, तो दोनों से अकेले में बात करें और यह बताने की कोशिश करें कि कैसे उनके लिए माँ या पत्नी ने अपनी जिद छोड़ी हैं, तो इस बार क्यों ना उसकी चॉइस को पहले तवज्जो दी जाए? यूं बात करना और हर चीज में बैलेंस बनाए रखना, यकीनन आपके काम आएगा।

मामले को खुद सुलझाने के लिए हस्तक्षेप न करें:

कई बार आपको ऐसी फीलिंग आ सकती है कि अपनी मां के साथ बातचीत करना मामले को सुलझाने का सबसे अच्छा तरीका है या शायद आप अपनी पत्नी से अपनी सास की भावनाओं के प्रति अधिक अनुकूल होने के लिए कहना चाहते हैं। हालांकि, उन्हें शायद आपसे क्या करने की आवश्यकता थी, बस उन्हें सुनें क्योंकि वे उन भावनाओं को बाहर निकालते हैं जो वे महसूस कर रहे हैं। तो आप अपनी मां को सुनने में मदद कर सकते हैं और शायद अपनी पत्नी को रोमांटिक डिनर के लिए बाहर ले जा सकते हैं ताकि उसे लगे कि उसे लाड़ प्यार मिल रहा है।

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समय मांगें:

महिलाएं किसी भी मुद्दे को आसानी से छोड़ती नहीं हैं। ऐसे में हो सकता है कि आप भले ही पीछे हो जाएं, लेकिन वह आपको बार-बार आगे कर दें। अगर आपको मां व पत्नी ऐसी स्थिति में डाल देती हैं, जहां आपके पास एक विकल्प को चुनने के अलावा कोई चारा नहीं है, तो उनसे सोचने के लिए समय मांगें। इसके बाद दोनों ने जो राय रखी है उसके बहुत ही प्रैक्टिकल होकर प्लस-माइनस की लिस्ट तैयार करें और बाद में उसे दोनों के सामने रखें। उनसे कहें कि आप इस बारे में यही सोच सके हैं और अब वे दोनों मिलकर फैसला कर सकती हैं कि क्या ज्यादा बेहतर विकल्प है।