अनादि न्यूज़

सबसे आगे सबसे तेज

समाचार

महाराष्ट्र में कांग्रेस को छोड़नी पड़ी उपमुख्यमंत्री पद की मांग…

महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना गठबंधन की चर्चा में कांग्रेस शुरू से अध्यक्ष पद पर अड़ी रही. पहले यह बात हुई थी की शिवसेना को मुख्यमंत्री पद और कांग्रेस एनसीपी को उपमुख्यमंत्री पद मिलेगा. बालासाहेब थोरात को कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाया गया, पर बाकी दो पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और अशोक चव्हाण को क्या पद दे यह समस्या थी. कांग्रेस की पहले योजना थी कि पृथ्वीराज चव्हाण को विधानसभा का अध्यक्ष बनाएंगे. वहीं थोरात और अशोक चव्हाण मंत्री बनाए जाएंगे.

कांग्रेस को विश्वास था कि अगर विधानसभा अध्यक्ष का पद हाथ में होगा तो सरकार को आसानी से चला जाएंगे. इस पद के लिए कांग्रेस इतनी अड़ी हुई थी की कांग्रेस नेताओं ने 22 नवंबर की बैठक में चर्चा छोड़कर बाहर होने की धमकी तक दी. इस पर शरद पवार भी गुस्सा हुए थे लेकिन गठबंधन बचाने के लिए एनसीपी विधानसभा अध्यक्ष का पद कांग्रेस को देने के लिए राजी हो गई. विधानसभा का उप अध्यक्ष पद एनसीपी ने ले लिया.

बाद में कांग्रेस के नेताओं को अपनी गलती का अहसास हुआ. गठबंधन की सरकार के हर कार्यक्रम, हर विज्ञापनों में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री रहेंगे. विधानसभा का अध्यक्ष का महत्व केवल सदन जब शुरू रहता हैं तब होता है. सदन की कार्रवाई साल में ज्यादा से ज्यादा 70 दिन चलती हैं. सिर्फ अध्यक्ष पद मिलने से सत्ता की हिस्सेदारी का प्रदर्शन पुरजोर तरीके से नहीं होगा. यह बात कांग्रेस नेताओं की समझ में आई. पर तब तक बात आगे बढ़ गई थी.

कांग्रेस ने अध्यक्ष पद छोड़कर उपमुख्यमंत्री पद और एक ज्यादा कैबिनेट पद की मांग की जो एनसीपी ने ठुकरा दी. कांग्रेस की मुश्किल बढ़ाने के लिए अस्थाई अध्यक्ष पद के लिए एनसीपी ने अपने वरिष्ठ नेता दिलीप वलसे पाटिल को चुना. अगर अध्यक्ष पद पूरा मिलता तो वलसे पाटिल ही एनसीपी के इस पद के लिए उम्मीदवार थे. नियमों के अनुसार जो अस्थाई अध्यक्ष बनता है वह अध्यक्ष पद का उम्मीदवार नहीं हो सकता. यानी एनसीपी ने साफ संकेत दिए की उपमुख्यमंत्री पद कांग्रेस को नहीं मिलेगा. अध्यक्ष का पद लेना कांग्रेस ने उचित समझा. बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए नाना पटोले को कांग्रेस ने अध्यक्ष पद का उम्मीदवार घोषित किया.

See also  एक नवंबर से बदल जाएगा बैंकों के खुलने और बंद होने का समय!