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भारतीय सेना बस 48 घंटों में कर देगी दुश्मन का खात्मा, उसकी धरती पर लहराएगा तिरंगा

हमारे देश की सेना लगातार आधुनिक तकनीक अपनाकर खुद को रणनीतिक रूप से हर क्षेत्र में सक्षम बनाने में जुटी हुई है। इसी के तहत अब वह अपनी युद्ध रणनीति में भी काफी कुछ बदलाव कर रही है। इसका ही नतीजा है कि अब हमारे देश की सेना को महीनों तक युद्ध नहीं लड़ना पड़ेगा, बल्कि मात्र 48 घंटे में ही दुश्मन को हार का स्वाद चखा दिया जाएगा। दरअसल, भारतीय सेना की कुछ इसी तरह की युद्ध रणनीति को जमीनी स्तर पर उतारने की कोशिश पोकरण में हो रही है। यहां सेना खास तरह का युद्धाभ्यास कर रही है। इस युद्धाभ्यास में अधिक से अधिक आधुनिक हथियारों का प्रयोग किया गया है।

रविवार को पोकरण में शुरु हुआ था दो दिवसीय युद्धाभ्यास
दो दिवसीय युद्धाभ्यास की शुरुआत रविवार को पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में हुई थी। जिसमें थल सेना और वायुसेना के जवानों ने हिस्सा लिया था। इसमें हिस्सा लेने वालों जवानों की संख्या चालीस हजार ज्यादा बताई जा रही है। इसमें जवानों को युद्ध के समय में धैर्य से काम लेने और दुश्मन के ठिकानों को कैसे नेस्तनाबूत करने का प्रशिक्षण दिया गया। इन सभी बातों को सिखाने के लिए काल्पनिक दुश्मन के ठिकाने बनाए गए। जिनपर हाइटेक विमानों का प्रयोग कर जमकर बमबारी की गई।

इस युद्धाभ्यास का नाम था ‘सिंधु सुदर्शन’

दुश्मन के दांत खट्टे कर देने वाले 40 हजार से ज्यादा सैनिकों के इस युद्धाभ्यास का नाम सिंधु सुदर्शन रखा गया। इसमें थलसेना के 21 स्ट्राइक कोर (सुदर्शन शक्ति) का प्रयोग किया गया। यह अभ्यास पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज के 100 किमी दायरे में किया गया। इसमें स्वदेशी बंदूकें, बोफोर्स तोप, मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर और टी 90 टैंक आदि को शामिल थे।

इस अभ्यास में रूसी विदेशी राकेट लॉन्चर सिस्टम भी प्रयोग में लाया गया। जिससे लगभग 72 कलस्टर बम गिराए गए। इस युद्धाभ्यास में दुश्मनों के छक्के छुड़ा देने वाले लड़ाकू विमान जगुआर और मिग- 21 का भी प्रयोग किया गया था।

इसके अलावा जवानों को सिखाया गया कि हेलीकॉप्टर रुद्र और मानव रहित विमान हैरोन का इस्तेमाल कैसे किया जाता है। इसकी सहायता से कैसे कम समय में अधिक से अधिक दुश्मनों नुकसान पहुंचा सकते हैं।

बताया जाता है कि सेना तीन साल में एक बार स्ट्राइक कोर का युद्धाभ्यास करती है। सैन्य विशेषज्ञ लगातार सैनिकों की सैन्य गतिविधि पर नजर रखते हैं। इसके बाद वे अभ्यास को अंक प्रदान करते हैं।

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