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बीते साढ़े तीन वर्षों से बस्तर में बना विकास का वातावरण: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

रायपुर। दंतेवाड़ा आदिवासी सम्मेलन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि साढ़े तीन वर्षों में बस्तर में विकास का वातावरण बना है। आदिवासियों के हित संरक्षण और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए हमारी सरकार कटिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्राम सभा को अधिकार सम्पन्न बनाएंगे, छत्तीसगढ़ में पेसा कानून पहले से ही लागू है, बस नियम नहीं बने हैं, आगामी कैबिनेट में पेसा एक्ट के नियम पारित करेंगे।

दंतेवाड़ा आदिवासी समाज सम्मेलन में मुख्यमंत्री बघेल को बांस और स्याड़ी के पत्ते से बना पारंपरिक ‘रेक’ भेंट किया गया। यह रेक जनजाति उद्यमशीलता का प्रतीक है। बरसात में सिर पर रेक पहनकर बस्तर अंचल में खेती की जाती है। आदिवासी सम्मेलन में मुख्यमंत्री को विल-काड़ (तीर धुनष) और कैगोडेल (कुल्हाड़ी) भी भेंट की गई। सम्मेलन में उद्योग मंत्री एवं दंतेवाड़ा जिले के प्रभारी मंत्री श्री कवासी लखमा, सांसद श्री दीपक बैज, विधायक श्रीमती देवती कर्मा सहित गोंड़ समाज, कोया कुटमा समाज, हल्बा समाज, धुरवा समाज, उरांव समाज, धोरला समाज और कंवर समाज सहित अन्य आदिवासी समाज के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि एनएमडीसी का मुख्यालय बस्तर में स्थापित करने भारत सरकार को कई बार पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि एनएमडीसी का मुख्यालय जगदलपुर में बनना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में जनजातीय बोलियों के संरक्षण की दिशा में काम हो रहा है, साथ ही हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे देश-दुनिया में अग्रणी रहें, इसलिए सम्पूर्ण बस्तर सहित पूरे प्रदेश में स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों की आय बढ़ाने के लिए हमने कई सशक्त कदम उठाए हैं। राज्य में कोरोना काल के लॉकडाउन में भी वनवासियों की जेब में पैसे पहुंचाया है। आदिवासियों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए तेंदूपत्ता खरीदी की दर बढ़ाते हुए 4000 रुपये प्रति मानक बोरा किया गया है। वनाधिकार पट्टा वितरण, धान खरीदी में एमएसपी के साथ ही राजीव गांधी किसान न्याय योजना के जरिए किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाया गया है। वनवासियों से 65 लघु वनोपजों की खरीदी जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं।

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