अनादि न्यूज़ डॉट कॉम ,अंबिकापुर। अंबिकापुर शहर से लगे सूरजपुर व बलरामपुर जिले के कल्याणपुर क्षेत्र से होकर बांकी नदी गुजरी है। वर्षा नहीं होने के कारण यह नदी इस वर्ष सूख गई है। कल्याणपुर क्षेत्र के आठ गांव के किसानों के लिए बांकी नदी सिंचाई का बड़ा माध्यम है। नदी के सूख जाने के कारण लगभग 400 एकड़ में लगी धान की फसल भी सूखने की कगार पर है। खेतों में दरारें आ गई हैं। यह क्षेत्र सब्जी वर्गीय खेती के लिए भी जाना जाता है। भूजल स्तर के नीचे चले जाने से बोरवेल से भी अब सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है।
उत्तर छत्तीसगढ़ में मानसून इस बार अबतक सक्रिय हुआ ही नहीं है। जून माह के अंतिम सप्ताह में चार दिन वर्षा हुई थी, इसके बाद से लगातार सूखे की स्थिति निर्मित हो गई है। पहला सावन बीतने को है पर मानसून सक्रिय नहीं हो पाया। सावन के महीने में बैशाख ,जेठ की तरह चिलचिलाती धूप ने न सिर्फ किसान बल्कि आम जनों को भी परेशानी में डाल दिया है। शुरुआती दिनों की वर्षा को देखकर किसानों ने धान की नर्सरी लगा दी थी। जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन थे उन्होंने भी धान की नर्सरी लगाई थी किंतु विपरीत मौसम ने धान की खेती को प्रभावित कर दिया है। सरगुजा ,सूरजपुर ,बलरामपुर तीनों जिले में लगभग पांच लाख हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है किंतु इस बार अभी तक 10 फीसद भी धान की बोआई व रोपाई नहीं हो पाई है, ऐसी स्थिति में इस बार धान का उत्पादन प्रभावित होना तय है।
संभाग मुख्यालय अंबिकापुर से लगे सूरजपुर जिले के कल्याणपुर क्षेत्र खेती के लिए जाना जाता है। इसी क्षेत्र का कुछ गांव बलरामपुर जिले के अंतर्गत भी आता है। क्षेत्र के लगभग आठ गांव के किसान बांकी नदी के पानी से ही धान की खेती करते हैं किंतु इस बार बांकी नदी भी सूख गई है। इस कारण जो किसान शुरुआती दिनों में धान की रोपाई किए थे वे उसमें सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। खेतों में दरारें पड़ गई हैं। क्षेत्र के कल्याणपुर सहित पोड़ीपा, छतरपुर,बदौली, सिधमा, रामेश्वरपुर, हरिपुर ,बोझा जैसे गांव में बांकी नदी के पानी का उपयोग किया जाता है किंतु नदी सूखने से यह सभी गांव प्रभावित हो गए हैं।
बोरवेल का जलस्तर भी गिरा-
कल्याणपुर क्षेत्र के प्रगतिशील किसान नीलाभ शर्मा ने बताया कि बांकी नदी सूख जाने के कारण सिंचाई नहीं हो पा रही है।धान के खेतों में दरारें पड़ गई हैं।जुलाई के पहले सप्ताह में ही हमने धान की रोपाई कर दी थी किंतु तेज धूप के कारण धान की फसल प्रभावित है।एक सप्ताह के भीतर यदि वर्षा नहीं हुई तो धान की फसल को बर्बाद होने से रोका नहीं जा सकेगा। उन्होंने बताया कि क्षेत्र के बोरवेल भी सूखने लगे हैं।बोरवेल का जलस्तर काफी नीचे चला गया है। सिंचाई के लिए पंप चलाने पर बमुश्किल आधा घंटा ही चल पाता है।
सावन की तेज धूप से 25 फीसद धान का पौधा प्रभावित-
वर्तमान में जिनके पास सिंचाई के साधन है वे धान की रोपाई तो कर रहे हैं पर तेज धूप के कारण 25 फीसद पौधा सूख रहा है क्योंकि धान की रोपाई के बाद कम से कम जड़ पकड़ने में 24 घंटे का समय लगता है। इस अवधि मे यदि तेज धूप पड़ी तो पौधा सूखने लगता है।क्षेत्र में ऐसी स्थिति पहले कभी निर्मित नहीं हुई थी। साग-सब्जी की खेती भी तेज धूप के कारण प्रभावित है। विशेषकर टमाटर के पौधे में संक्रमण लगने लगा है जिससे फूल और फल आने में दिक्कत होगी।
इस कारण सूख गई बांकी नदी-
बता दें कि अंबिकापुर शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए जिस बांकी जलाशय के पानी का उपयोग किया जाता है वह जलाशय इस बार पूरी तरह सूखने की कगार पर है। शहर में पानी के लिए हाहाकार मच गया है, ऐसी स्थिति बन आई कि नगर निगम ने 24 घंटे में एक बार ही पानी सप्लाई का निर्णय लिया है। उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव की पहल पर बांकी जलाशय से गाद हटाने का काम किया गया।दो दिन से गाद हटाए जाने के बाद जलाशय की तलहटी पर जमे आठ मीटर पानी का दोहन भी बांकी नदी के माध्यम से तकिया फील्ड अर्पण तक किया जा रहा है।यही नदी सूरजपुर जिले के कल्याणपुर क्षेत्र तक पहुंची है जो सूख गई है। इस नदी में जलाशय के लिए पीने के लिए छोड़े जाने वाला पानी ही इस क्षेत्र में पहुंचता है।