अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, नई दिल्ली। पूरे देश में गणेश चतुर्थी की धूम हैं, आज लोगों के घरों में विनायक पधारे हैं, कहीं ढोल-नगाड़े बज रहे हैं तो कहीं पर लोग मोदक बना रहे हैं, कहते हैं कि गणेश चतुर्थी की पूजा बिना मोदक के पूरी नहीं होती है। गणपति जी को मोदक बहुत ज्यादा प्रिय है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे क्या कथा है?
गणेश जी ने मानी मां पार्वती जी की आज्ञा:
दरअसल गणेश जी की तरह उनकी लीलाएं और कहानियां भी बहुत ज्यादा रोचक हैं। कहा जाता है कि एक बार माता पार्वती अपने महल में कुछ काम कर रही थीं, उन्होंने पहरेदार के रूप में अपने बेटे गणेश को द्वार पर खड़ा कर दिया उन्हें आदेश दिया कि वो किसी को भी अंदर ना आने दें। गणेश जी अपनी मां की आज्ञा मानकर द्वार पर पहरा देने लगे।
भगवान शंकर को आया गुस्सा:
लेकिन थोड़ी देर बाद वहां पर भगवान शंकर आए लेकिन गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया । महादेव ने कहा कि अरे मैं कोई गैर नहीं हूं, मैं अंदर जा सकता हूं लेकिन गणपति तो गणपति, वो अड़ गए, बोले कि मां ने किसी को भी अंदर आने से मना किया है। जब गणेश जी ने शंकर जी की बात नहीं मानी तो उन्हें गुस्सा आ गया और उन्होंने त्रिशूल से गणेश जी पर वार कर दिया, जिससे गणेश जी का एक दांत टूट गया, जिससे उन्हें दर्द होने लगता है।
भगवान शिव मोदक लेकर आते हैं:
आवाजें सुनकर मां पार्वती अंदर से बाहर आ जाती हैं और अपने पुत्र की हालत देखकर काफी नाराज हो जाती हैं, भगवान शंकर को भी इस बात से काफी बाद में ग्लानि होती हैं। गणेश जी अब कुछ खा नहीं पा रहे होंते हैं, ऐसे में भगवान शिव उनके सामने मोदक लेकर आते हैं, जो कि काफी मुलायम होता है, उसे गणेश जी खा लेते हैं, जिससे उन्हें दांत में दर्द नहीं होता है और वो खाने में भी काफी स्वादिष्ट होता है। गणेश जी ये मिठाई बहुत पसंद आती है और वो खुश हो जाते हैं।
बिना मोदक के गणेश उत्सव अधूरा:
जिसे देखकर मां पार्वती का गुस्सा भी गायब हो जाता है और शिव जी को माफ कर देती हैं, तब से ही मोदक गणेश जी की प्रिय मिठाई बन गई है, ये सब कुछ शुक्लपक्ष की चतुर्थी के दिन हुआ था, जिसकी वजह से गणेश चतुर्थी और मोदक एक-दूसरे के पर्याय बन गए और बिना मोदक के गणेश उत्सव अधूरा माना जाता है।