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पोलैंड में रूसी मिसाइल गिरने के बाद NATO की होगी एंट्री? आर्टिकल 4 और 5 से होगा तय, जानें क्या है

Poland Blast: इस साल 24 फरवरी को यूक्रेन में रूसी आक्रमण शुरू होने के बाद कई बार ऐसे मौके बने, जब दुनिया को विश्व युद्ध होने या फिर युद्ध में परमाणु बम का इस्तेमाल होने का आशंका महसूस हुई, लेकिन पहली बार यूक्रेन युद्ध में नाटो के देश आ चुके है, जब उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के एक सदस्य देश, पोलैंड में मंगलवार को एक विस्फोट हुआ, जिसके बारे में पोलैंड विदेश मंत्रालय ने कहा कि, रूसी मिसाइल गिरने की वजह से ऐसा हुआ है। पोलैंड में रूसी मिसाइल गिरने की वजह से दो लोगों की मौत हो गई है और रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना यूक्रेनी सीमा से लगभग 6 किमी दूर प्रेवोडोव में हुई है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों ने दमकलकर्मियों का हवाला देते हुए कहा गया है, कि पोलैंड में रूसी मिसाइल गिरा है, जो नाटो का हिस्सा है।

अलर्ट पर पोलैंड की सेना

विस्फोट के बाद पोलैंड ने अपनी सेना को सतर्क कर दिया है और “तत्काल विस्तृत स्पष्टीकरण” प्रदान करने के लिए रूसी दूत को भी तलब किया है। वहीं, रूस ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की आपातकालीन बैठक के बाद वारसॉ की बात भी शुरू हो गई है। समाचार एजेंसी एएफपी ने बताया कि, पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा ने अपने अमेरिकी समकक्ष जो बाइडेन के साथ बातचीत की है और व्हाइट हाउस ने कहा है कि, वाशिंगटन और वारसॉ “अगला कदम” क्या होगा, इसके लिए साथ मिलकर काम करेंगे। फिर भी राष्ट्रपति डूडा, पोलैड में गिरे रूसी मिसाइल को लेकर सतर्क हैं। उन्होंने कहा कि, मिसाइल किसने दागी है, इसका फिलहाल कोई ठोस सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि, “फिलहाल हमारे पास इस बात के स्पष्ट सबूत नहीं हैं, कि मिसाइल किसने दागी। जांच चल रही है। यह संभवत, रूस निर्मित था।”

रूस ने किया इनकार

वहीं, रूस ने इस बात से इंकार किया है, कि उसकी मिसाइलों ने पोलैंड को निशाना बनाया। रूसी रक्षा मंत्री ने टेलीग्राम पर एक बयान में कहा कि, “पोलैंड की मीडिया और पोलैंड के अधिकारियों का ये बयान, कि उन्होंने रूसी मिसाइल को पोलैंड के क्षेत्र में मार गिराया है, ये बयान जानबूझकर उकसाने वाले हैं।” लेकिन, चूंकी पोलैंड नाटो का हिस्सा है, लिहाजा अब युद्ध में नाटो की एंट्री हो सकती है और फिलहाल नाटो संगठन के ज्यादातर नेता इंडोनेशिया के बाली में जी-7 शिखर सम्मेलन में मौजूद हैं। नाटो संगठन के आर्टिकिल 4 के आधार पर, पोलैंड के अनुरोध पर नाटो प्रमुख जेन्स स्टोलेनबर्ग के बेल्जियम के ब्रसेल्स बुधवार को एक आपात बैठक की अध्यक्षता करने की उम्मीद है।

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बाइ़डेन की आपात बैठक

इस बीच, पोलैंड में हुए धमाके के बाद इंडोनेशिया में चल रहे जी20 शिखर सम्मेलन से अलग अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने नाटो के नेताओं के साथ एक आपातकालीन बैठक की है। बैठक उनके होटल के एक बॉलरूम में एक बड़ी गोल मेज पर हुई है, जिसमें कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, यूके के पीएम ऋषि सुनक, जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज, इतालवी पीएम जियोर्जिया मेलोनी और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन की उपस्थिति देखी गई। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन भी इस आपात बैठक में मौजूद थे, जिसके पास अत्याधुनिक हथियारों का जखीरा है।

क्या कहता है आर्टिकल-4

नाटो के आर्टिकल-4 के मुताबिक, यदि देश की “क्षेत्रीय अखंडता, राजनीतिक स्वतंत्रता या सुरक्षा” को खतरा है, तो नाटो का सदस्य देश उस खतरे की स्थिति में अपनी चिंता नाटो के सामने रख सकता है और फिर नाटो के सभी सदस्य और समूह की पार्टियां इसके आधार पर “एक साथ परामर्श” करेंगी। 1949 में इसके निर्माण के बाद से आर्टिकल-4 को सात बार लागू किया गया है। इनमें से ज्यादातर तुर्की द्वारा अन्य कारणों के साथ पड़ोसी इराक में आतंकवादी हमलों और संघर्ष से संबंधित थे। स्काई न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद परामर्श आयोजित करने के लिए चेक गणराज्य, लिथुआनिया, एस्टोनिया, बुल्गारिया, स्लोवाकिया, रोमानिया और पोलैंड ने भी 24 फरवरी को परामर्श के लिए बैठक बुलाया था।

तो फिर आगे क्या होगा?

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, आर्टिकल 4 के बाद आर्टिकल 5 आता है, जिसे नाटो के संयुक्त रक्षा सिद्धांत के रूप में परिभाषित किया गया है और यह आर्टिकल सिर्फ उसी स्थिति में प्रभाव में आ सकता है, जब यह निर्धारित किया जाता है, कि पोलैंड में विस्फोट के लिए वास्तव में रूस जिम्मेदार था।

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आर्टिकल-5 क्या है?

नाटो के आर्टिकल-5 में कहा गया है कि, “यूरोप या उत्तरी अमेरिका में उनमें से एक या अधिक (सदस्य राज्यों) के खिलाफ सशस्त्र हमले को उन सभी के खिलाफ हमला माना जाएगा”। इस आर्टिकल में यह भी कहा गया है, कि “नाटो की पार्टी या पार्टियां इस तरह के हमले की स्थिति में, “व्यक्तिगत रूप से और अन्य पार्टियों के साथ मिलकर, ऐसी कार्रवाई कर सकता है, जो आवश्यक है, जिसमें सैन्य इस्तेमाल भी शामिल है और उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र की सुरक्षा बनाए रखने के लिए जो आवश्यक लगे।” लंबे समय से नाटो देशों में यूक्रेन युद्ध के फैलने का डर बना हुआ है। लेकिन, जैसा कि यूक्रेन अभी तक नाटो का सदस्य नहीं है, जब रूस ने उस पर आक्रमण किया, तो अनुच्छेद 5 लागू नहीं किया गया था।

अनुच्छेद 5 कैसे काम करता है?

नाटो के अनुच्छेद 5 को ऑटोमेटिक रूप से लागू नहीं किया जाता है, बल्कि इसके लागू करने से पहले नाटो के सभी सदस्य राज्यों का इसे लागू करने के लिए सहमत होना आवश्यक है, वो भी उस स्थिति में, जब सभी सदस्य राज्य उस ‘घटना’ को आतंकवादी घटना माने। रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि, इस तरह के परामर्श में कितना समय लग सकता है, इसकी कोई समय सीमा तय नहीं है।