अनादि न्यूज़ डॉट कॉम,महासमुंद । स्वच्छ राजनीति वाले सरल राजनेता के रूप में अपनी पहचान बनाए रखने वाले पूर्व विधायक अग्नि चंद्राकर का पार्थिव शरीर सोमवार की सुबह महासमुंद पहुंचा। पत्नी, बेटे के अलावा परिवार के लोगों ने रेलवे स्टेशन रोड स्थित आवास पर उनका शव उसी स्थान पर रखा, जहां बैठकर वे लोगों से मुलाकात करते थे। उनके यहां पहुंचने से पहले सैकड़ों की तादात में लोगों का हुजूम पहुंच चुका था। इसके बाद उनके शव को कांग्रेस भवन ले जाया गया।
जहां जिले भर के कांग्रेसी, समर्थक उनकी अंतिम दर्शन के लिए टूट पड़े। भीड़ के बीच ही ठीक सवा 11 बजे उनकी यात्रा उस गांव की ओर निकली, जहां उनका जन्म हुआ था। शहर के लोग अवाक थे कि महासमुंद को जिले का दर्जा दिलाने वाला शख्स आज महासमुंद को अलविदा कह रहा है, कभी वापस महासमुंद लौटकर नहीं आएंगे।
आज सुबह से जन्मस्थली लभराकला को भी आज उनके आने का अंतिम इंतजार था। रात भी की घरों में चूल्हे नहीं जले। होली दीपावली में कुछ लोग ही उनके साथ गांव जाते थे लेकिन महासमुंद से लभराकला तक आज की भीड़ ऐतिहासिक रही। लोग बताते हैं कि अग्नि चंद्राकर की अंतिम यात्रा में जितनी भीड़ आज एकत्र है, वह पहले कही नहीं देखी गई। इससे पहले किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को इतना सम्मान नहीं मिला। उनके दर्शन के लिए हर वर्ग के गरीब और अमीर लोग दिखे। सभी के आंखों में आंसू था। अग्नि चंद्राकर को लेकर सालों से एक बात प्रचलित थी कि उन्होंने किसी के मन को ठेस नहीं पहुंचाई और अपने पास सहयोग के लिए पहुंचे किसी भी जरूरतमंद को खाली हाथ नहीं लौटाया। वे स्व श्यामाचरण शुक्ल और स्व. अजीत जोगी के काफी करीबी माने जाते थे।