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पीएम आवास अधूरा, पत्थर पर सो रहे पहाड़ी कोरवा…

 विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा प्रधानमंत्री आवास योजना से भी पूरी तरह से लाभान्वित नहीं हो पाए। इनके नाम पर भवन तो बने हैं पर भवन की गुणवत्ता ऐसी है कि कोरवाओं को फिर से झोपड़ी बनाना पड़ रहा है। पीएम आवास के मकान की दीवार खड़ी कर और छत ढालकर खड़ी कर पहाड़ी कोरवाओं को दे दिया गया। नतीजा पक्के मकान में भी पहाड़ी कोरवा या तो पत्थर या कच्चे जमीन पर सो रहे हैं।  यह हाल पहाड़ी कोरवा बाहुल्य गांव हर्रापाठ की है।

हर्रापाठ में जशपुर सन्ना मुख्य मार्ग के किनारे ही पहाड़ी कोरवाओं की बस्ती है। इस बस्ती में लगभग 20 पहाड़ी कोरवा रहते हैं। बस्ती में पहाड़ी कोरवाओं के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नए मकान बनाए गए हैं। बरसात से पहले ही नए मकान बनाकर इन्हें दिया गया पर कोरवा इसका उपयोग नहीं कर पर रहे हैं। उनका पुराना घर टूट चुका है। ऐसी दशा में कोरवाओं को बारिश से बचने के लिए नए मकान की एक दीवार का उपयोग कर झोपड़ी बनानी पड़ी है। कोरवाओं ने बताया कि फर्श का काम अभी पूरा नहीं हो पाया है। 

 विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए जिले भर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान निर्माण का काम 98 प्रतिशत पूरा हो चुका है। विभागीय रिकार्ड बताते हैं कि कुल स्वीकृत आवास में से सिर्फ 22 मकान पूरी तरह नहीं बन सके हैं। पर हकीकत इससे अलग है। कोरवाओं का मकान आधा अधूरा बनाकर उन्हें सौंप दिया गया है और उनके खाते से पूरे पैसे निकाल लिए गए हैं। 

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पहाड़ी कोरवाओं के सरदार एतवा राम का कहना है कि गांव के सरपंच ने सभी कोरवाओं का मकान बनाया है। उनके बैंक खाते से पैसे भी सरपंच द्वारा ही निकाले गए हैं। सरपंच ने हमें मकान बनाकर दे दिया और कहा कि शासन ने इतना ही बनाने को कहा है।