8 नवंबर को देश में नोटबंदी के तौर पर याद किया जाता है। आज इसकी तीसरी वर्षगांठ है। 8 नवंबर 2016 को सरकार ने पुराने 500 और 1000 रुपए के नोटों को प्रतिबंधित कर दिया था। ऑनलाइन कम्यूनिटी प्लेटफॉर्म लोकल सर्कल्स ने 50,000 लोगों के बीच एक सर्वे किया है और यह पता लगाने की कोशिश की है कि आखिर नोटबंदी का क्या फायदा या क्या नुकसान हुआ है।
सर्वे में शामिल कुल लोगों में से एक तिहाई का मानना है कि नोटबंदी का सबसे बड़ा नकारात्मक प्रभाव अर्थव्यवस्था में मंदी का आना है, जबकि 28 प्रतिशत का मानना है कि उन्हें इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नजर नहीं आता है। 32 प्रतिशत लोगों का मानना है कि नोटबंदी की वजह से असंगठित क्षेत्र में कई लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा।
42 प्रतिशत लोगों का मानना है कि नोटबंदी की वजह से बड़ी संख्या में टैक्स चोरों का पता चला और उन्हें टैक्स नेट में शामिल किया गया। 25 प्रतिशत लोगों का कहना है कि सरकार के इस कदम का कोई फायदा नहीं हुआ। 21 प्रतिशत लोगों का मानना है कि नोटबंदी से कालाधन में कमी आई और 12 प्रतिशत लोगों का कहना है कि इससे टैक्स संग्रह में वृद्धि हुई है।
8 नवंबर 2016 तक 15.41 लाख करोड़ रुपए मूल्य के 500 और 1000 रुपए के नोट चलन में थे। 99.3 प्रतिशत या 15.31 लाख करोड़ रुपए मूल्य के नौट वापस बैंकिंग सिस्टम में लौटकर आ ग हैं। केवल 10,720 करोड़ रुपए का कालाधन था जो वापस बैंकिंग सिस्टम में नहीं लौटा है।
फिर शुरू हुई 2000 रुपए के नोटों की जमाखोरी
नोटबंदी की तीसरी वर्षगांठ पर वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के पूर्व सचिव एससी गर्ग ने कहा कि 2000 रुपए के नोटों की देश में जमाखोरी हो रही हे। सरकार को 2000 रुपए के नोट पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए। सरकारी नौकरी से वीआरएस ले चुके गर्ग ने कहा कि सिस्टम में अभी भी नकद लेनदेन का उपयोग सबसे ज्यादा हो रहा है।
2000 रुपए के नोटों की जमाखोरी की जा रही है। डिजिटल भुगतान पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो रहा है। यह भारत में भी आगे बढ़ रहा है लेकिन इसकी रफ्तार बहुत धीमी है। गर्ग ने कहा कि बड़ी संख्या में 2000 रुपए के नोटों की जमाखोरी की गई है। यह नोट अब चलन में कम हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को 2000 रुपए के नोट को भी बंद कर देना चाहिए।