नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के मौके पर पीएम मोदी ने देशभर युवाओं के साथ संवाद किया। अपने नेता को जानिए कार्यक्रम के तहत पीएम मोदी ने इन युवाओं के साथ चर्चा की। प्रधानमंत्री ने इस दौरान युवाओं के साथ चर्चा के दौरान कहा कि मेरा नौजवानों से यह सुझाव रहेगा कि आप जहां भी जाएं बहुत बारीकी से चीजों को समझने की कोशिश कीजिए, नोट बनाने की आदत डालिए। बहुत कुछ पढ़िए, ज्यादा से ज्यादा पढ़िए। लेकिन जब आप आत्मकथा पढ़ते हैं, खिलाड़ी के जीवन को पढ़ते हैं, कला जगत के व्यक्ति को पढ़ते हैं, हर एक के जीवन में कैसी साधना रहती है, कैसे जीवन की साधना में तप करके उसने कुछ हासिल किया, वह आपको प्रेरणा देगी, अपने जीवन में ऐसा ही कुछ करने का संकल्प बनता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोशिश करनी चाहिए कि आप जिससे मिल रहे हैं, उसका चेहरा याद रहे, नाम याद रहे, बात याद रहे। धीरे-धीरे आपका नया नजरिया तैयार होगा, पांच साल के बाद भी आप किसी से मिलेंगे तो उससे कहेंगे अच्छा आप वहीं हैं। ऐसे में वह व्यक्ति भी खुश होगा और उसे लगेगा आप उसे याद रखते हैं। प्रधानमंत्री ने युवाओं से पूछा कि आप नेताजी की वो कौन सी चीज है जो अपने जीवन में लाना चाहेंगे। इसपर एक युवती ने कहा कि मैं नेताजी से उनकी संगठन क्षमता को सीखना चाहूंगी। उसे अपने जीवन में उतारना चाहूंगी।
उनसे सीखना चाहूंगी कि कैसे पूरी दुनिया के भारतीयों को एकजुट करके देश के लिए लड़ाई लड़ी। मैं भी उनकी ही तरह चाहूगी कि हमारे देश के सभी लोग, केरल,गुजरात, राजस्थान या जम्मू हो, कहीं पर भी हों, सभी एक साथ मिलजुलकर हमारे देश की समस्या के लिए एक साथ लड़ सके। मैं नेताजी से एक चीज और देखना चाहूंगी सपना देखना, मैं 2015 से हर रोज सपना देख रही हूं, आपसे हर रोज सपने में बात कर रही हूं। मैं मानती हूं कि सपने देखिए, वह पूरे होते हैं, आज मैं आपसे बात कर रही हूं।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने युवाओं से सेंट्रल हॉल के बारे में पूछा। पीएम ने पूछा कि आपको मालूम है कि सेंट्रल हॉल का इतिहास क्या है। इसपर एक युवा ने कहा कि मैं जब वहां गया तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए। मुझे पहली बार उसे देखने का मौका मिला। पीएम ने कहा कि आप सेंट्रल हॉल में जिस जगह पर बैठे थे उसपर एक समय में कोई ना कोई देश के महान व्यक्ति बैठे थे, जिन्होंने इस देश का संविधान बनाया था। आप उस जगह पर बैठे थे, क्या आपको वो सब महसूस हो रहा था।
पीएम मोदी ने कहा कि जन्मदिन पहले भी आते थे, पुष्प चढ़ाते थे। लेकिन हमे विचार आया कि किसी ना किसी जन्मदिन पर देशभर के नौजवानों को बुलाया जाए। इस कल्पना और कार्यक्रम को सुनकर आप लोग आए आपको कैसा लगा। इस पर एक छात्रा ने बताया कि मुझे यहां आकर अनुभव हुआ कि विविधता में एकता क्या होती है। हमने किताबों में ही यह सब पढ़ा था। लेकिन यहां आकर मुझे वह सब अनुभव हुआ। दूसरे युवक ने कहा कि हमारे मन में था कि हम संसद को देखेंगे।