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तुलसी विवाह में भूलकर भी न करें ये गलतियां, जानिए पूजन विधि

हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी को खास महत्व दिया जाता हैं वही हिंदू पंचांग के मुताबिक कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी की देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता हैं कई जगह इसके अगले दिन यानी कि द्वादशी को भी तुलसी का विवाह किया जाता हैं।

वही जो लोग एकादशी को तुलसी विवाह कराते हैं वे इस बार आठ नवंबर यानी की आज इसका आयोजन करेंगे। वही द्वादशी तिथि को मानने वाले नौ नवंबर को तुलसी विवाह करेंगे। तुलसी विवाह कराते वक्त कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी होता हैं। जिससे कि आपको इसका पूर्ण फल प्राप्त हो सकें।

हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व होता हैं इस दिन भगवान विष्णु समेत सभी देवगण चार महीने की योग निद्रा से बाहर आते हैं यही वजह हैं कि इस एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता हैं मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह संपन्न करवाने से वैवाहिक जीवन की सभी समस्याओं को अंत हो जाता हैं।

वही जिन लोगो के विवाह नहीं हो रहे हैं उनका रिश्ता पक्का हो जाता हैं इतना ही नहीं मान्यता हैं कि जिन व्यक्तियों के घर में बेटियां नहीं हैं उन्हें तुलसी विवाह कराने से कन्यादान जैसा पुण्य की प्राप्ति होती हैं।

परिवार के सभी सदस्य और विवाह में शामिल होने वाले सभी अतिथि नहा धोकर व अच्छे वस्त्रों को धारण कर तैयार हो जाएं। जो लोग तुलसी विवाह में कन्यादान कर रहे हैं उन्हें व्रत रखना जरूरी हैं। शुभ मुहूर्त के दौरान तुलसी के पौधे को आंगन में पटले पर रखें। आप चाहे तो छत या मंदिर स्थान पर भी तुलसी विवाह किया जा सकता हैं।

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