आजकल पढ़ाई पूरी होते ही नौकरी तो हर कोई करता है, लेकिन अपने सपनों को साकार कुछ ही लोग कर पाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि देश में कई लोग आर्थिक बीमारियों के शिकार हैं। लोगों की सैलरी तो बढ़ी है, लेकिन तब भी उनका खर्चा पूरा नहीं हो पाता है। इसलिए अगर आप बिना किसी आर्थिक विपदा के जीवन व्यतीत करना चाहते हैं, तो आपको ये जानना होगा कि ज्यादा पैसे कमाने के बावजूद क्यों आप पैसे नहीं बचा पाते हैं। गौर करने वाली बात ये है कि इन बीमारियों के शिकार ज्यादातर युवा ही होते हैं। बीते सालों के मुकाबले अब युवा निवेश कम करते हैं और खर्च ज्यादा। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है, तो हो सकता है कि आप भी ‘मनी डिसॉर्डर’ के शिकार हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में।
पैसे का सही इस्तेमाल न करनाअपने पैसे का सही इस्तेमाल न करना आर्थिक चिंता की निशानी हो सकता है। उदाहरण के तौर पर, आजकर क्रेडिट कार्ड लगभग हर युवा के पास है, लेकिन वो उसका बिल आसानी से नहीं भरते। पैसे होने के बावजूद वे क्रेडिट कार्ड का बिल भरने में देरी करते हैं। यह ‘फाइनेंशियल डिनाइल’ की निशानी है। यानी पैसा होने के बाद भी उसे सही जगह पर खर्च ना करना। क्रेडिट कार्ड के बिल की ही तरह कई लोग टैक्स जैसे अन्य जरूरी भुगतान करने में भी हिचकिचाते हैं। इतना ही नहीं, पैसे होने के बावजूद कहीं निवेश ना करना और बैंक में पैसा जमा करके रखना भी फाइनेंशियल डिनाइल की ही निशानी है। इसलिए यदि आप फाइनेंशियल प्लानिंग करेंगे, तो आपको सही समय पर पैसे खर्च करने में मदद मिलेगी। इससे आप भविष्य में आने वाले आर्थिक संकट से भी बच जाएंगे।
सही जगह खर्च करें पैसाइसके अतिरिक्त आजकल युवा आसानी से अपना पैसा किसी को भी दे देते हैं। ये युवाओं का आर्थिक लक्ष्य पूरा करने में बाधा खड़ा कर देता है। ऐसा इसलिए क्योंकि महीने के अंत तक उनके पास जरूरी खर्च के लिए पैसे नहीं बचते हैं। इसे आप फाइनेंशियल रिजेक्शन भी कह सकते हैं। इससे बचने के लिए आपको अपना पैसा किसी ऐसे व्यक्ति को देना चाहिए जो आपका पैसा सही जगबह खर्च करें, जैसे आपके माता-पिता, पति या पत्नी, आदि।
जरूरी खर्चे को फिजूल मानना सही नहींआजकल के युवा या तो फिजूल खर्ची करते हैं, या पैसे को खर्च करना ही फिजूल मानते हैं। बहुत कम युवा ऐसे हैं जो अपने पैसे को सही जगह खर्च कर पाते हैं। अंडरस्पेंडिंग, यानी बिलकुल भी पैसा खर्च ना करना भी आपके लिए संकट खड़ा कर सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर आप अपने या अपने परिवार पर बिल्कुल खर्च नहीं करते हैं, तो इसका मतलब आप बेहद खराब तरीके से जिंदगी जी रहे हैं। इसलिए परिवार की जरूरतों के लिए खर्च करना ही समझदारी है।
फिजूल खर्ची से बचेंजरूरत की चीजों पर पैसे खर्च ना कर फिजूल कर्ची करना युवाओं में काफी आम हो गया है। सैलरी आते ही युवा उसे खर्च कर देते हैं और फिर महीने के अंत में जरूरतों के लिए पैसे नहीं बचते हैं। बाजार में एक चीज लेने जाएं, तो डिस्काउंट के चक्कर में साथ में चार और चीजों की खरीदारी कर लेते हैं। ऐसी स्थिति में उनका बजट भी बिगड़ सकता है। इसके लिए आपको पहले से ही सोच समझकर खर्च करना चाहिए और अपनी सैलरी का सिर्फ 70 फीसदी हिस्सा ही खर्च करना चाहिए। बाकी का जरूरत के समय के लिए बचाना ही समझदारी है।