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जानिए चतुर्थी पर गणेश को दूर्वा क्यों अर्पित की जाती है?

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, धर्मं-दर्शन।  भगवान श्रीगणेश की पूजा दूर्वा के बिना अधूरी रहती है। दूर्वा गणेशजी को अत्यंत प्रिय है और वे दूर्वा अर्पित करने से तुरंत प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान प्रदान करते हैं। श्रीगणेश पुराण के उपासना खंड में दूर्वोपाख्यान नामक अध्याय में दूर्वा के महत्व का विस्तार से वर्णन किया गया है।

उसके अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन श्रीगणेश को मात्र एक दुर्वाकुर अर्पित करने से ही सिद्धि, बुद्धि, धन, संपत्ति, मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। जिस कामना की पूर्ति की धारणा करके दूर्वा अर्पित की जाती है, वह अवश्य पूरी होती है। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी 31 अगस्त को आ रही है। इस दिन श्रीगणेश का प्राकट्य हुआ था। इसलिए उन्हें दूर्वा अर्पित करके आप भी मनचाहा वरदान प्राप्त करें।

  • दूर्वा अर्पित करने का लाभ श्रीगणेश पुराण में स्वयं भगवान कहते हैं जो सच्ची श्रद्धा से भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को एक दूर्वा भी अर्पित कर देता है वो मेरा प्रिय हो जाता है।
  • भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के गणेशजी को 21 दूर्वा अर्पित करने का बड़ा पुण्य फल प्राप्त होता है। इससे संकटों से रक्षा होती है। पापों का क्षय होता है।
  • भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से चतुर्दशी तक दस दिनों तक नित्य 108 दूर्वा अर्पित करने से समस्त प्रकार के आर्थिक संकट दूर हो जाते हैं।
  • धन, संपत्ति की प्राप्ति होती है और सुखों में वृद्धि होती है। चतुर्थी के दिन 108 दूर्वा को मौली से बांधकर एक गड्डी बना लें। इस पर थोड़ा सा सिंदूर लगाकर गणेशजी के द्वादश नामों का उच्चारण करते हुए अर्पित करने से पारिवारिक जीवन के संकट दूर होते हैं।
  • आपसी प्रीति में वृद्धि होती है।
  • धन का आगमन बढ़ाने और व्यापार में वृद्धि के लिए भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का शास्त्रोक्त पूजन कर 1008 दुर्वाकुर अर्पित करें।
  • गणपति अथर्वशीर्ष के 11 पाठ करें। अगले दिन गणेशजी को चढ़ाए हुए दूर्वा को सिंदूरी कपड़े में सिंदूर लगाकर बांधकर तिजोरी में रखें। इससे आर्थिक संकट शीघ्र दूर होने लगता है।
  • उत्तम जीवनसाथी की कामना से युवक-युवतियां गणेशजी का विधिवत पूजन कर 108 दूर्वा अर्पित करें और इसे पीले कपड़े में सिंदूर के साथ बांधकर अपनी दाहिनी भुजा में बांध लें। शीघ्र मनचाहा साथी प्राप्त होगा। दुनिया की सबसे खूबसूर
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