छत्तीसगढ़ : लोकवाणी (आपकी बात-मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के साथ): प्रसारण तिथि – 10 नवम्बर, 2019
एंकर
– सभी श्रोताओं को नमस्कार, जय जोहार !
– मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘लोकवाणी’ के चौथे प्रसारण के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी आकाशवाणी पधार चुके हैं।
– जैसा कि आपको पता है कि इस बार ‘नगरीय विकास का नया दौर’ विषय पर प्रदेश की जनता के विचार, सुझाव तथा सवाल आमंत्रित किए गए थे।
– आज इसी विषय पर माननीय मुख्यमंत्री जी से बातचीत होगी।
– हम आकाशवाणी की ओर से, माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी का हार्दिक अभिनंदन करते हैं, स्वागत करते हैं।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– अभिनंदन करे बर, बहुत-बहुत धन्यवाद।
– नगरीय विकास का नया दौर। ये विषय म दाई-दीदी, सियान-जवान मन ह अब्बड़ अकन गोठ-बात करे हव। सवाल करे हव, सुझाव दे हव, ते पाय के जम्मो मन ल धन्यवाद।
एंकर
– मुख्यमंत्री जी, बड़ी संख्या में हमारे श्रोता इस कार्यक्रम से जुड़ रहे हैं। सिकोला से सुकालू सिंह, पिपरिया-जिला कबीरधाम से कमलकांत गुप्ता और सरायपाली से जफर उल्ला खां सहित कई साथियों ने शहरी विकास के बुनियादी सवालों को उठाया है। आइये सुनते हैं दुर्ग निवासी भोला महोबिया की आवाज, जिनके सवाल में कई साथियों के सवाल शामिल हैं।
(भोला महोबिया की आवाज- शहरी विकास के संबंध में सवाल है कि विकास के लिए स्वच्छता, पेयजल और नगर की बसाहट। जिस तरह से सरकार ने ग्रामीण अंचलों के लिए नरवा, गरवा, घुरवा एवं बारी योजना चालू किए हैं, जिसकी सफलता पूरी मिली और अच्छे से क्रियान्वयन हो रहा है। उसी तरह से नगर विकास में पानी की महत्वपूर्ण आवश्यकता रहती है। इसके लिए वर्षों पुरानी धरोहर कुआं और बावली उनका क्रियान्वयन किया जाए। दूसरे चरण में मेरा सुझाव था सर सरकार को इनका क्रियान्वयन किया जाए। वर्षा का प्रतिशत कम होते जा रहा है। वाटर हार्वेस्टिंग का सबसे बड़ा स्रोत है कुआं जो आज कूड़ादान का रूप ले चुकी है, उसे खोला जाए और हजारों की संख्या में हमारे प्रदेश में कुआं खनन किया जाए। हमारे दुर्ग में ही कम से कम 125 से 132 कुएं है सरकारी और प्राइवेट मिलाकर आपसे निवेदन है कि इन्हें चालू किया जाए और अच्छे से इनका रख-रखाव करके सारे संसाधन को चालू किया जाए। )
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– धन्यवाद भोला भाई, सुकालू भाई, जफर भाई और अन्य साथी।
– सही बात है कि स्वच्छता, पेयजल और नगर की बसाहट बुनियादी जरूरतें हैं।
– मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूं।
– सच में भू-जल स्तर का गिरना चिंता का विषय है और इसका सबसे बड़ा कारण हमारे शहरों का विकास, सीमेंट कांक्रीट के जंगल की तरह किया जाना है।
– शहरों के बहुत से हिस्से, घरों, व्यवसायिक भवनों, सड़कों आदि के कारण इतने ठोस हो गए हैं कि बरसात का पानी भीजमीन के भीतर नहीं जा पाता।
– भूमिगत जल स्तर को बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है कि सतह का पानी रिस-रिसकर जमीन के भीतर जाए।
– छत्तीसगढ़ को तरिया का, तालाबों का, जलाशयों का, नदियों-नालों का, जलप्रपातों का प्रदेश कहा जाता रहा है।
– विडम्बना है कि एक लम्बे अरसे तक सही सोच और सही योजना के बिना ही निर्माण कार्य किए जाते रहे हैं।
– ऐसे निर्माण कार्यों की वजह से हमारी जमीन की रिचार्जिंग क्षमता कम होती गई और भू-जल स्तर गिरते-गिरते अब खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है।
– मैं बताना चाहता हूं कि हमारी सरकार ने नियमों में संशोधन करके अब प्रत्येक आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक परिसर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य कर दिया है।
– पूर्व में निर्मित भवनों में भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की गई है।
– छह प्रकार की रेन वाटर हार्वेस्टिंग यूनिट की दर राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की गई है और सैकड़ों एजेन्सियों तथा स्व-सहायता समूहों को आगे किया गया है कि वे एक माह के भीतर सभी जगह रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करें।
– हम चाहते हैं नए भवनों में बिजली कनेक्शन भी तभी दिया जाए, जब रेन वाटर हार्वेस्टिंग की यूनिट वहां लगा दी जाए।
– आपने ‘नरवा, गरवा, घुरवा, बारी’ योजना से शहरों को जोड़ने के बारे में कहा है, तो मैं यह बताना चाहता हूं कि इस दिशा में भी काम शुरू हो गया है।
– ‘वी-वायर इंजेक्शन वेल’ के माध्यम से भू-जल की रिचार्जिंग की परियोजना बनाई गई है।
– जहां तक कुओं के उपयोग का सवाल है, तो मैं प्रदेश की जनता से, स्थानीय प्रशासन से, जिला प्रशासन से, स्वयं सेवी संगठनों से अपील करता हूं कि पुराने कुओं की साफ-सफाई कराएं। पुराने कुओं को जाली आदि लगाकर सुरक्षित करें ताकि इससे कोई दुर्घटना न हो।
– आज-कल छोटे भू-खण्डों पर घर बनाए जाते हैं, जिसमें कुओं का निर्माण कठिन होता है, इसीलिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग की प्रणाली अपनाई जाती है, लेकिन जहां पुराने कुएं हैं, उनका पूरा सम्मान और व्यवस्था हो, इस बारे में आप लोग भी सोचें और हम भी कोई अभियान इसके लिए छेड़ेंगे।
– पेयजल की बात आपने की है तो मैं यह बताना चाहता हूं कि हमारी सरकार बनते ही 212 करोड़ रू. लागत से रायपुर शहर वृहद पेयजल आवर्धन योजना की शुरूआत कर दी गई है।
– घरेलू पेयजल कनेक्शन से वंचित बी.पी.एल. परिवारों के लिए ‘मिनीमाता अमृतधारा नल योजना’ शुरू की गई है।
– फिल्टर प्लांट के माध्यम से पैकेज्ड वाटर अर्थात सीलबंद पानी उपलब्ध कराने के लिए ‘राजीव गांधी सर्वजल योजना’ शुरू की गई है।
– आपदाग्रस्त स्थानों अर्थात जहां भू-जल प्रदूषित है, वहां सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए ‘मुख्यमंत्री चलित संयंत्र पेयजल योजना’ शुरू कर दी गई है।
– सुपेबेड़ा में तेलनदी का जल शुद्ध करने के लिए ‘सुपेबेड़ा जल योजना’ शुरू की गई है।
– चंदखुरी, जिला दुर्ग में ‘समूह पेयजल योजना’ के माध्यम से समस्या का समाधान किया जा रहा है।
– हमने नरवा से लेकर नदियां तक सबकी चिंता की है।
– सरकार बनते ही रायगढ़ तथा जगदलपुर शहर सिवरेज मास्टर प्लांट को मंजूरी दी गई है, जिससे नदियों में मिल रहे नाले-नालियों के दूषित जल का शुद्धिकरण किया जा सके।
– बरसों से लंबित खारून सफाई योजना को मंजूरी दी है।
– बस्तर की जीवनदायनी इंद्रावती नदी के संरक्षण के लिए प्राधिकरण का गठन किया गया है।
– बिलासपुर में अरपा नदी की सफाई का बड़ा अभियान जनभागीदारी के साथ चलाया गया है।
– मैं चाहता हूं कि प्रदेश की जनता अपने आस-पड़ोस की नदियों को साफ रखने में मदद करें। इससे हमारी सरकार का उत्साह बढ़ेगा और हम सब मिलकर अपने शहरों को, शुद्ध पानी भी दे सकेंगे और स्वच्छ परिवेश भी।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी मैं बहुत हर्ष और गर्व के साथ अगली आवाज से आपको परिचित कराना चाहता हूं। ये आवाज है दंतेवाड़ा से सफाई कर्मचारी भाई विश्वनाथ की।
(विश्वनाथ की आवाज- मैं दंतेवाड़ा से विश्वनाथ बताना चाहता हूं कि साधन ना होने के बावजूद हम बार-बार नालियों का सफाई करते हैं, परंतु लोग बार-बार नालियों में कचरा डाल देते हैं जबकि नगर पालिका द्वारा बार बार अपील भी की जाती है किन्तु लोग जागरुक नहीं हो पा रहें हैं, आपसे अनुरोध है कि लोकवाणी के माध्यम से आप हमारी जनता को एक बार अपील करें ताकी लोग जागरुक हों सके।)
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– भाई विश्वनाथ जी, बहुत धन्यवाद। आपने इस मंच पर अपनी बात रखकर बहुत बड़ा काम किया है। आपकी आवाज यहां पहुंचने से हमारा यह कार्यक्रम सार्थक हो गया है, सफल हो गया है।
– और आपने बहुत बढ़िया बात कही है।
– ऐसी स्थिति के लिए हमारे पुरखे कहते थे ‘आगे पाठ-पीछे सपाट’। मतलब अगर पहले किए गए काम का सम्मान न हो और उसे बना कर नहीं रखा जाए तो बाद का काम वैसे भी महत्वहीन हो जाता है।
– ये सिर्फ आपकी पीड़ा नहीं है। बल्कि हम सबकी नहीं पीड़ा है। शासन-प्रशासन में काम करने वाले लोगों की भी पीड़ा है, क्योंकि लगभग ये सभी शहरों, नगरों की समस्या है।
– मैं भाई विश्वनाथ की बात को आगे बढ़ाना चाहता हूं। मेरे प्यारे शहरवासियों, कृपया आप लोग भी इस बात पर बहुत गंभीरता से ध्यान दें। जिस तरह हमारे शरीर में रक्त वाहिकाएं होती हैं उसी तरह शहर की सफाई व्यवस्था नालियों पर निर्भर करती है।
– जब हम नाली में कचरा डालते हैं तो वहां से पानी बहना बंद हो जाता है। जब पानी नहीं बहता तो गंदे पानी से बदबू, मच्छर, कीड़े-मकोड़े और तरह-तरह की बीमारियां जन्म लेती हैं।
– इसलिए मेरी अपील है कि घर या दुकान का कचरा नालियों में न डालें। विश्वनाथ भाई जैसे हजारों सफाई कर्मचारियों की कर्तव्यनिष्ठा और मेहनत का सम्मान करें।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, खैरागढ़ से गुलाब चोपड़ा, थान खम्हरिया से चेतन लाल साहू, सरायपाली से मनप्रीत सिंह राणा, कवर्धा से घुरवा राम साहू और अनेक साथी ने कहा है कि पहले महापौर और अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता करती थी। इस बार नगरीय निकायों के चुनावों की प्रक्रिया में कई संशोधन किए गये हैं। महापौर और अध्यक्ष के लिए न्यूनतम आयु सीमा 25 वर्ष होती थी, इस बार घटाकर 21 वर्ष किया गया है। इसका क्या लाभ होगा।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– साथियों, भाई गुलाब चोपड़ा ने तो काफी करीब से देखा है कि महापौर या अध्यक्ष के सीधे चुनाव मंे क्या दिक्कते थीं। वास्तव में ये दोनों पद प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री की तरह एक्जीक्यूटिव पद हैं। यदि पार्षदों का समर्थन नहीं मिलता तो नगर का विकास ठप्प पड़ जाता है। हम नहीं चाहते कि शहर का विकास राजनीति से प्रभावित हो जैसे कि पिछले 15 वर्षों में किया गया था। पार्षद जब अपना मुखिया चुनेंगे तो नगरीय विकास का काम निर्बाध रुप से पूरा होगा।
– दूसरी बात 21 साल वाली। जब 21 साल में कोई पार्षद बन सकता है तो मेयर क्यों नहीं बन सकता। हमें युवाओं को सम्मान देना, युवाओं को जिम्मेदारी देना, युवाओं पर भरोसा करना सीखना होगा।
– हमने प्रदेश को कुचक्रों से बाहर निकालने में सफलता पाई है और अब युवा जोश और ऊर्जा से राजनीति को स्वस्थ बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
– शहरों का नियोजित विकास, उत्साह से भरपूर और खुशनुमा वातावरण का निर्माण हमारी प्राथमिकता है।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, रतनपुर से मोहम्मद उस्मान कुरैशी, कोरबा से वेदप्रकाश नायक सहित कई साथियों ने नगरीय-निकायों के राजस्व की चिंता की है। उस्मान कुरैशी का कहना है कि नगरीय निकायों के सारे तालाब बंद पड़े हैं। इनका उपयोग मछली पालन मंे किया जाना चाहिए।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– उस्मान भाई, धन्यवाद। यह बात मेरे ध्यान मंे है कि नगरीय निकायों के तालाबों से मछुवारों को दूर किया गया था। हम चाहते हैं कि मछुवा सहकारी समितियों को ये तालाब दिये जाएं, जिससे तालाबों की देखरेख भी होगी। नियमित सफाई होगी। मछलियां पाली जायेंगी। मछुवारों की आय बढ़ेगी और नगरीय निकायों को राजस्व भी मिलेगा।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, महासमंुद से सविता निषाद, संजय परमार, दुर्गेश साहू, कोरिया से प्रशांत सिंह गहरवार, प्रयागदत्त मिश्रा, देवसुन्दरा से चन्द्रहास वैष्णव सहित अनेक साथियों ने जानना चाहा है कि नगरीय निकायों मंे रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा क्या किया जा रहा है।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– वैसे तो हमारी सरकार की नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों की वजह से हर क्षेत्र में नये रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं।
– जिसके कारण जो दुनिया में मंदी का दौर है और बड़ी-बड़ी कंपनियां नौकरी छीन रही है, छटनी कर रही हैं। इस दौर में भी छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी की दर कम हुई है।
– जहां तक नगरीय निकायों के योगदान का सवाल है तो पूरे प्रदेश में नगरीय-निकायों द्वारा निर्मित दुकानों के किराये में कमी की गई है ताकि स्वरोजगारी युवाओं को मदद मिले और वे अन्य लोगों को रोजगार दे सके।
– हमने जमीन की गाइड लाइन दर में 30 प्रतिशत की कमी की और छोटे भूखंडांे के क्रय-विक्रय से रोक हटाई, जिसके कारण लगभग
एक लाख सौदे हुये। एक जमीन बिकने पर दसियों लोगों को लाभ मिलता है। मकान बनता हैं तो बढ़ई, लोहार, राजमिस्त्री, इलेक्ट्रिशियन, प्लम्बर, रेजा, कुली से लेकर दुकानदार तक सबको रोजगार मिलता है।
– हमने गुमास्ता लायसेंस के वार्षिक नवीनीकरण में छूट देने जैसे कई कदम उठाए हैं, जिससे कारोबारियों का उत्साह बढ़ा है।
– शिक्षाकर्मियों, सहायक शिक्षक (एल.बी.) को नियमित वेतन, तबादले की सुविधा, स्वच्छता दीदियों के मानदेय में वृद्वि जैसे अनेक कदम उठाए गए हैं।
– ‘पौनी-पसारी’ छत्तीसगढ़ में एक ऐसी बाजार व्यवस्था है, जिसमें आपसी सद्भाव, सहयोग और समरसता के सामाजिक माहौल में सारी आवश्यकताएं पूरी हो जाती हैं।
– समन्वय की अर्थव्यवस्था हमारी बसाहटों में खुशहाली का आधार थी।
– आधुनिक बाजार व्यवस्था में यह परम्परा टूट रही थी।
– इसलिए हमने नगरीय-निकायों में ‘पौनी-पसारी’ बाजार व्यवस्था का संरक्षण तथा संवर्धन करने का निर्णय लिया है।
– मुझे खुशी है कि इस दीवाली में हमारी माटी के दीयों से छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि दिल्ली भी रोशन हुई है।
– हमारे गांवों, बस्तियों में बने पकवानों की खुशबू और मिठास हर घर में पहुंची है।
– गांव का पैसा गांव में ही, आपस में एक-दूसरे के काम आता है।
– हमारा प्रयास है कि हर हाथ को उसकी क्षमता के अनुसार रोजगार मिले, नई उद्योग नीति में इसके लिए समुचित प्रावधान किये गए हैं।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, आपको सामाजिक न्याय का प्रतीक माना जाता है। किसानांे, गरीबों, भूमिहीनों की आवाज-‘भूपेश बघेल जिंदाबाद’ के नारे गूंजते हैं। बहुत से श्रोता जानना चाहते हैं कि भूमिहीनांे, आवासहीनों का इंतजार, क्या अब जल्दी समाप्त होगा।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– ‘हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े-लिखे को फारसी क्या’।
– एक आंकड़ा बताता हूं, जब हमने सरकार की बागडोर सम्हाली तब प्रदेश में ‘मोर जमीन-मोर मकान योजना’ के तहत सिर्फ 8 हजार मकान बने थे।
– बेशक योजना पुरानी थी, गरीबों के लिए हितकारी थी, लेकिन पूर्व सरकार पर भारी थी।
– उनकी रूचि नहीं थी इसलिए सिर्फ 8 हजार मकान बने थे। हमने रूचि ली तो 11 महीने में 40 हजार मकान बन गए।
– जमीन वही थी, जनसंख्या वही थी, काबिज वही थे लेकिन गरीब जनता को काबिज भूमि पर अधिकार देने की इच्छा शक्ति नहीं थी।
– हमने ‘राजीव गांधी आश्रय योजना’ का आगाज किया और कानून में संशोधन किया ताकि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले भूमिहीन परिवारों को उनके नाम से पट्टा मिले, नियमितीकरण हो। इस योजना का लाभ एक लाख लोगांे को मिलेगा।
– आपको यह जानकर खुशी होगी कि आबादी पट्टों का वितरण होने लगा है।
– किफायती आवास योजना के तहत 1250 करोड़ रू. की लागत से लगभग 29 हजार नवीन आवासों की मंजूरी दी गई है।
– आप देखिएगा कि सन् 2022 तक सभी आवासहीनों को आवास उपलब्ध करा देंगे।
एंकर
– आज-कल समाचार पत्रों में ‘मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय योजना’ और ‘मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना’ की बहुत चर्चा होती है।
– लोग जानना चाहते हैं कि जब नगरीय-निकायों के कार्यालय हैं, अस्पताल हैं तो ऐसी वैकल्पिक व्यवस्था की क्या जरूरत पड़ गई?
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– बढ़िया सवाल पूछा आपने।
– छत्तीसगढ़ राज्य बने 19 साल पूरे हो गए हैं।
– छत्तीसगढ़ गठन के समय लोगों को लगा था, अब उन्हें सरकार की सारी सुविधाएं बहुत पास मिलने लगेंगी, लेकिन कहीं न कहीं लोगों का विश्वास टूटा।
– हमने महसूस किया कि जनहितकारी सुविधाओं के लिए वर्तमान प्रशासनिक इकाइयां पर्याप्त नहीं है।
– अब यह बहाना नहीं चलेगा कि लोग अस्पताल नहीं आते, लोग निगम के मुख्यालय या दूर-दूर स्थित दफ्तर नहीं पहुंच पाते।
– हमने यह तय किया कि लोगों तक पहुंचना, पीड़ितों तक पहुंचना, हताश और निराश लोगों तक पहुंचना, परेशान लोगों तक पहुंचना, बीमार लोगों तक पहुंचना, कुपोषित माताओं, बहनों, बच्चों तक पहुंचना सरकार का काम है।
– इसलिए हमने बस्तर से यह अभियान शुरू किया कि लोग अस्पताल नहीं पहुंच पाते पर हाट-बाजार जाते हैं तो क्यों न अस्पताल ही हाट-बाजार में लगने लगे।
– इसी तरह शहरी बस्तियों के लोग अपनी रोजी-रोटी के लिए इतने व्यस्त रहते हैं कि अपनी बीमारियों की अनदेखी करते हैं।
– इसलिए हमने तय किया कि शहरी बस्तियों के लोग अस्पताल नहीं पहुंच पाते तो अस्पताल उनके घर के पास पहुंच जाए।
– आप देखिए कि मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालयों, मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य केन्द्रों में कैसा उत्साह का वातावरण है।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, छत्तीसगढ़ का बीसवां स्थापना दिवस पहले तीन दिन के लिए प्रस्तावित था, जिसे बाद में बढ़ाकर पांच दिन किया गया और इस बार सारे कार्यक्रम रायपुर शहर में ही हुए। इसे आप किस तरह के अनुभव या उपलब्धि के रूप में देखते हैं?
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– इसका जवाब तो छत्तीसगढ़ की जनता ने तो स्वयं दे दिया है।
– साइंस कॉलेज के मैदान में जिस तरह विशाल जनसमुद्र उमड़ा, उसने हमारे हर फैसले पर मुहर लगा दी है।
– जहां तक उपलब्धि का सवाल है, तो तीन प्रमुख उपलब्धियां हैं।
– पहली उपलब्धि कि हमने अपने लक्ष्य के अनुरूप नई उद्योग नीति 2019-2024 जारी कर दी है।
– दूसरी उपलब्धि छत्तीसगढ़िया कलाकारों की प्रतिभा और उनके चहेतों ने यह साबित कर दिया है कि उनके कार्यक्रम किसी सेलीब्रिटी के मोहताज नहीं।
– और तीसरी उपलब्धि कि छत्तीसगढ़ को अपना राज्यगान मिल गया।
– छत्तीसगढ़ के महान जनकवि डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा ने जब ‘अरपा-पैरी के धार-महानदी हे अपार….’ गीत की रचना की थी, तब उन्हें पता नहीं था कि यह गीत कैसे-कैसे जन-जन की जुबान में चढ़ेगा।
– और एक दिन ऐसा आएगा कि स्वयं यह गीत राज्य गीत का गौरव पाएगा।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, आइए हम भी अपना राज्य गीत गुन-गुना लें।
‘अरपा-पैरी के धार……….’ गीत की रिकार्डिंग चलेगी।
एंकर
– अब लोकवाणी का आगामी प्रसारण 08 दिसम्बर 2019 को होगा। विषय है ’आदिवासी विकास: हमारी आस’। इस विषय पर हमारे श्रोता अपने विचार 28, 29 और 30 नवम्बर के बीच रख सकेंगे। पहले की तरह ही दोपहर 3 से 4 बजे के बीच फोन करके अपने सवाल रिकार्ड करा सकते हैं। फोन नम्बर है-0771-2430501, 2430502 और 2430503 और इसी के साथ ये कार्यक्रम यहीं सम्पन्न होता है।