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छत्तीसगढ़ – बूढे मां-बाप को बेटों ने घर से निकाला.रोते हुए बोली मां-हमें इंसाफ दिला दो…

कलियुग चल रहा है। यहां कोई किसी का नहीं, हर रिश्ता बस मतलब का रह गया है। मतलब खत्म रिश्ता खत्म। लगभग नर कंकाल से दिख रहे साहिब सिंह के पास रहने को मकान नहीं हैं। वे छत्तीसगढ़ के जबड़ापारा में किराए के मकान पर रहते थे। अब किराए देने के पैसे नहीं हैं। वे कलेक्टोरेट में अपनी पत्नी माना बाई के साथ प्रधानमंत्री आवास का आवेदन लेकर पहुंचे। कलेक्टर डॉ.संजय अलंग पेंड्रा के दौरे पर थे। उनकी मुलाकात नहीं हुई।

साहिब ठीक से बोल भी नहीं पा रहे थे। आवाज बेहद धीमी थी। बुढ़ापा और बीमारी से उनका शरीर जीर्ण-शीर्ण हो चला है। उनकी पत्नी माना ने बताया कि कभी वे भी संपन्न थे। मोहतरा में रहते थे। शादी के बाद तखतपुर ब्लॉक के ग्राम देवतरी आ गए। 6 संतानों की शादी की। इनमें दो बेटे भी हैं।

एक बेटा संपन्न है और दूसरा बिलासपुर में रहता है। इसके बावजूद वे लोग किराए के मकान में रहते हैं। अब किराया देने के लिए रुपए नहीं है। कलेक्टर साहब प्रधानमंत्री आवास दिलवा देते तो बड़ी मेहरबानी होती.यह कहते हुए माना की आंखों से आंसू छलक गए।