प्रदेश में शराब बंदी करने के बजाय सरकार अब एक अजीब फॉर्मूला लाई है। और वो है- शराब पीने वालों के आंकड़े जुटाने के लिए बिक्री का डाटा इकट्ठा किया जाएगा। ये सुझाव पिछले दिनों शराब बंदी के लिए हुई प्रशासनिक समिति की बैठक में एक सदस्य ने दिया था। समिति के अध्यक्ष सत्यनारायण शर्मा के अनुसार पीने वालों की निजता का ध्यान रखा जाएगा। इसके लिए पीने वालों की गिनती करने के बजाय बोतलों की गिनती के आधार पर आंकलन होगा।
शर्मा ने कहा कि प्रदेश में शराब के आदि लोगों की स्थिति जल बिन मछली की तरह हो गई है। समिति ने राज्य में नशा मुक्ति केंद्र बढ़ाने की बात जरूर कही है। दरअसल, शराब बंदी के लिए प्रदेश सरकार ने प्रशासनिक, सामाजिक और राजनीतिक समिति बनाई थीं। इन सभी की अलग-अलग जिम्मेदारी तय की गई और सुझाव मांगे गए। इसके बाद ये गिनती का फॉर्मूला सामने आया।
छत्तीसगढ़ में आबादी के अनुपात में प्रति व्यक्ति 1764 रुपए सालाना शराब पर खर्च हो रहे हैं। 2018-19 में शराब की बिक्री से लगभग 4500 करोड़ की आमदनी हुई। प्रदेश में 651 शराब दुकानें हैं, इनमें विदेशी की 305 और 346 देशी की हैं।
सत्यनारायण शर्मा ने भाजपा और जोगी कांग्रेस पर शराबबंदी के मुद्दे पर असहयोग करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि समिति में शामिल करने के लिए दोनों दलों ने अपने-अपने विधायकों के नाम अब तक नहीं भेजे। समिति में भाजपा के दो और जोगी कांग्रेस के एक विधायक को शामिल किया जाना है। समिति की पहली बैठक 19 अगस्त को बुलाई गई थी, जिसमें कांग्रेस के विधायकों के अलावा बसपा विधायक केशव चंद्रा शामिल हुए थे। शर्मा ने कहा कि भाजपा और जोगी कांग्रेस मुद्दे को जिंदा रखना की राजनीति कर रही हैं।
प्रदेश में सालाना खपत
देसी 4036023.99
िवदेशी 157901.45
बीयर 1627966.08
प्रूफ लीटर में