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छत्तीसगढ़ : दीपावली के बाद संभावित पार्षद उम्मीदवारों को होगा इशारा…

राज्यपाल ने निगम में अप्रत्यक्ष चुनाव को हरी झंडी दे दी है। इसी के साथ राजनीतिक दल अपनी अपनी तैयारी में जुट गए हैं। दीपावली के बाद भाजपा के संभावित दावेदारों को तैयारी करने का इशारा हो जाने की बात कही जा रही है। राज्योत्सव के बाद चुनाव की तारीख तय होते ही नामों की अधिकृत घोषणा हो जाएगी। कांग्रेस में भी ज्यादातर सीटों पर सभी गुट समझौते के मुड में है। विवादित सीटों पर अंतिम समय में नाम तय होंगे।

पार्षद चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। राज्य शासन ने अब प्रत्यक्ष के बजाय महापौर का चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से कराने की हरी झंडी दिखा दी है। मतलब साफ है कि जो पार्षद का चुनाव जीत सकेगा उसकी ही दावेदारी महापौर के लिए होगी। अप्रत्यक्ष चुनाव के कारण राजनीतिक दलों का फोकस महापौर से हटकर अब पार्षदों पर आ गया है। ऐसे में हर टिकट के लिए जमकर मंथन और समझौते का दौर चल रहा है। भाजपा ने निगम चुनाव के लिए विधानसभावार सीट बांट दिया है। मतलब निगम के ऐसे वार्ड जो दूसरे विधानसभा बेलतरा, बिल्हा, तखतपुर या मस्तूरी में आते हैं। वहां के टिकट भी स्थानीय विधायक या विधायक प्रत्याशी ही बांटेंगे। इस नियम के बाद बिलासपुर विधानसभा के दावेदारों ने पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल के बंगले का चक्कर लगाना शुरू कर दिया है। उन्हें बता दिया गया है कि दीपावली के बाद दावेदारों को संकेत मिल जाएंगे। इसके बाद उन्हें फील्ड में तैयारी करनी होगी। इससे उम्मीद की जा रही है कि भाजपा के उम्मीदवार तैयारी के मामले में विरोधी कांग्रेसियों पर भारी पड़ेंगे। इसी के साथ दूसरे दावेदारों को भी संकेत मिल जाएगा कि उन्हें अब सहयोग करना है या घर बैठना है। जिन सीटों पर विवाद होगा उन पर कार्यकर्ताओं के चर्चा करने के बाद निर्णय लिया जाएगा। भाजपाई चुनावी तैयारी तो करेंगे,लेकिन नामों की घोषणा जल्द नहीं होगी। चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद निर्णय लिया जाएगा कि नाम कब घोषित किए जाएं। इसके उलट कांग्रेसी उम्मीदवार गुटीय राजनीति में फंसे हुए हैं। शहर में मौजूद दोनों गुट के अपने अलग दावेदार हैं। इसके अलावा बड़े नेताओं से सीधे टिकट लाने वाले दावेदारों की संख्या कम नहीं है। विवाद की स्थिति को देखते हुए सामंजस्य बनाकर कुछ निर्विवाद सीटों पर नाम तय करने की मुहिम भी शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि दीपावली के कांग्रेसी भी अघोषित रूप से कुछ सीटों के उम्मीदवार तय कर सकते हैं। इस तरह पिछले कुछ दिनों से थमी हुई राजनीति त्योहार के बाद फिर गर्मा सकती है।

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