महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर दो अक्टूबर को चंद सामान्य परिवारों को ही राशन कार्ड (एपीएल) मिल पाया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने योजना को लांच करने के लिए विधानसभा भवन में 10 लोगों को एपीएल कार्ड दिया। वहीं, कुछ और जिलों में भी जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने एपीएल कार्ड का प्रतीकात्मक वितरण करके योजना की शुस्र्आत की। बताया जा रहा है कि अब तक एपीएल कार्ड प्रिंट ही नहीं हुआ है, इसलिए बाकी आवेदकों को कार्ड के लिए और इंतजार करना होगा। अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि योजना को लांच करने के लिए गिनती के कार्ड ही प्रिंट कराए गए थे। एपीएल कार्ड के लिए खाद्य विभाग ने पांच सितंबर को कार्यक्रम जारी किया था। उसके अनुसार वार्ड स्तर पर शिविर लगाकर 10 से 17 सितंबर तक आवेदन लिया जाना था। 22 सितंबर को सार्वजनिक स्थानों पर पात्र और अपात्र आवेदकों की सूची चस्पा की जानी थी।
25 सितंबर तक दावा-आपत्ति लेनी थी। इसके बाद से दो अक्टूबर से पांच अक्टूबर तक पात्र आवेदकों को राशन कार्ड उपलब्ध कराना था। शुस्र्आती दो-तीन दिनों तक शिविरों में आवेदन नहीं मिल रहा था। इस कारण 17 सितंबर तक हजारों सामान्य परिवार आवेदन जमा नहीं कर पाए थे। इसकी वजह से अंतिम तिथि बढ़ाकर 23 सितंबर कर दी गई। इसके बाद भी विभाग यही दावा करता रहा कि दो अक्टूबर से एपीएल राशन कार्ड का वितरण शुरू कर दिया जाएगा, लेकिन रायपुर के अलावा मुंगेली, कोरबा जांजगीर-चांपा और कुछ जिले शामिल हैं। कार्ड का वितरण नगरीय निकायों और पंचायतों को शिविर लगाकर करना है, जहां एपीएल कार्ड नहीं पहुंचे हैं।
बिना दावा-आपत्ति प्रिंटिंग कैसे?
खाद्य अधिकारियों का कहना है कि एपीएल कार्ड प्रिंट हो रहे हैं, लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि बिना दावा-आपत्ति के कार्ड की प्रिंटिंग कैसे कराई जा रही है? दावा-आपत्ति अनिवार्य प्रक्रिया है।
लक्ष्य से ज्यादा आवेदन मिले
सार्वभौम सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राज्य सरकार ने 65 लाख परिवारों का राशन कार्ड बनाने का लक्ष्य रखा है। इसमें 50 लाख 40 हजार तो बीपीएल परिवारों के कार्ड हैं। शेष छह लाख 60 हजार कार्ड एपीएल परिवारों का बनना है। खाद्य विभाग के उच्च अधिकारियों के अनुसार एपीएल कार्ड के लिए सात लाख से ज्यादा आवेदन आए हैं। मतलब, लक्ष्य से 40 हजार या उससे भी ज्यादा आवेदन मिले हैं। हालांकि, इसमें अपात्र भी निकलेंगे।