छत्तीसगढ़ में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संचालित स्वास्थ्य बीमा योजनाओं का लाभ मरीजों को तो मिल रहा है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में हितग्राहियों की संख्या बहुत कम है। खासकर दंत रोग, प्रसव और मोतियाबिंद सर्जरी की। यही वजह है कि नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (एनएचए) के सीईओ डॉ. इंदू भूषण ने सीधे स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारीक को पत्र लिखकर महत्वपूर्ण सलाह दी है। इसमें उल्लेख है कि आयुष्मान भारत, मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना (एमएसबीवाई) के अंतर्गत प्रसव और मोतियाबिंद सर्जरी के पैकेज सिर्फ सरकारी अस्पतालों के लिए ही आरक्षित किए जाएं। इससे सरकारी अस्पतालों को मजबूती मिलेगी, मरीजों का विश्वास भी बढ़ेगा।
2009 में शुरू हुई राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) जो अब आयुष्मान भारत हो चुकी है, उसने निजी अस्पतालों को मजबूत कर दिया। प्रदेश में इन 10 सालों में बड़ी संख्या में मोतियाबिंद सर्जरी, प्रसव और दंत के उपचार निजी अस्पतालों में हुए।
करोड़ों-करोड़ रुपये अस्पतालों को भुगतान हुए। इस दौरान कई बार गड़बड़ियां भी उजागर हुईं। प्रमाण मिले, जुर्माना और कानूनी कार्रवाई भी हुई। बावजूद इसके सरकारों ने कोई ऐसी व्यवस्था नहीं की कि सरकारी अस्पतालों में इन सभी स्वास्थ्य सुविधाओं के पैकेज को आरक्षित किया जाए। अब सीधे केंद्र ने इस मामले में हस्ताक्षेप कर दिया है।