राष्ट्रीय स्पर्धाओं में 35 गोल्ड समेत कई मेडल जीतकर शहर का मान बढ़ाने वाली बेटी शहर की दिव्यांग राष्ट्रीय तैराक ममता इन दिनों पीलिया से पीड़ित है। हालत गंभीर होने पर उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहां उसे आइसीयू में रखा गया है। वहीं सरकारी मदद के नाम पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
ममता के पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने से उन्हें इलाज का खर्च उठाना मुश्किल हो रहा है। वहीं बेटी की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसकी आंखों से बेबसी के आंसू निकल रहे हैं। जिंदगी और मौत से जूझ रही ममता के लिए सरकारी मदद की गुहार भी लगाई, लेकिन कहीं से भी मदद के लिए हाथ नहीं उठे। वहीं राष्ट्रीय तैराक की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। अब तो स्थिति ऐसी है कि कुछ पल होश तो आता है लेकिन वह अपने पिता और भाई को ही पहचान पाने में असमर्थ हैं। इससे उसके पिता की पीड़ा और भी असहनीय होती जा रही है।
दिव्यांग तैराक ने देशभर में हुई कई राष्ट्रीय स्पर्धाओं में हिस्सा लिया। वहीं करीब 35 गोल्ड समेत कई सिल्वर व कांस्य पदक जीते और प्रदेश का मान बढ़ाया है। आज वह पीलिया से ग्रसित है और गंभीर स्थिति में अमेरी चौक स्थित श्रीरमणी अस्पताल में भर्ती है। वहां का महंगा उपचार उसके पिता को भारी पड़ रहा है। फिर भी वे अपनी बेटी के बेहतर स्वास्थ्य की कामना के साथ अपनी आर्थिक स्थिति से जूझते हुए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं वहीं बेटी की खेल उपलब्धि को देखते हुए उन्हें आस है कि किसी न किसी प्रकार से मदद मिलेगी। लेकिन, अभी तक एक भी हाथ मदद के लिए नहीं उठा है।
पिता अपनी राशि के लिए भी भटक रहे
ममता के पिता मोतीलाल मिश्रा नगर निगम के स्वीमिंग पुल संजय तरण पुष्कर में जीवन रक्षक के रूप में अपना पूरा जीवन दिया और 31 अगस्त 2019 को सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली जमा पूंजी भी विभाग से अब तक नहीं मिली है और न ही पेंशन का लाभ मिला है। ऐसे में अस्पताल का बढ़ता बिल आर्थिक रूप से और भी मुश्किलों को बढ़ा रहा है।
मुश्किल से बना छोटा-सा घर
ममता के पिता ने बताया कि सकरी वार्ड क्रमांक-एक में वे मुश्किल से ही छोटा-सा घर बना पाए हैं। उनका कहना है कि कुछ राशि मैंने जोड़ रखी थी और कुछ राशि बेटी को पुरस्कार में मिली राशि से मिलाकर घर बनाया।
मिले हैं ध्यानचंद समेत कई पुरस्कार
ममता ने अपनी दिव्यांगता को हराकर राष्ट्रीय स्तर मेडल जीते हैं। उसकी खेल प्रतिभा को देखते हुए उसे मेजर ध्यानचंद पुरस्कार के साथ ही शहीद कौशल यादव और राजीव पांडेय पुरस्कार मिल चुका है।