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छत्तीसगढ़ : महादेव टिकरा में शुरू हुआ तीन दिवसीय महोत्सव का शुभारंभ

गुरु घासीदास की 261वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस मौके पर प्रगतिशील छग सतनामी समाज द्वारा विशाल शोभायात्रा निकाली गई। जिले भर से सतनाम धर्म के अनुयायी इसमें शामिल हुए। सतनाम धर्म के प्रवर्तक बाबा घासीदास की जयंती प्रतिवर्ष धूमधाम से मनाई जाती है। इस बार प्रगतिशील छग सतनामी समाज द्वारा जयंती के मौके पर ग्राम महादेवटिकरा में तीन दिवसीय जिलास्तरीय जयंती मेला का आयोजन किया गया है। इसे लेकर लोगों में उत्साह देखने को मिला। पर्व को लेकर समाज द्वारा पिछले एक पखवाड़े से तैयारियां की जा रही थीं। जयंती को लेकर सतनाम धर्म के अनुयायी सुबह से ही महादेवटिकरा स्थित जैतखंभ स्थल पर पहुंचने लगे थे। धार्मिक कार्यक्रमों से पर्व की शुरूआत हुई। जिला सचिव एस एस भारद्वाज ने बताया कि प्रातः 7 बजे कलश स्थापना एवं चौका आरती की गई।

पुरोहितों के मार्गदर्शन में पर्व की विशेष पूजा संपन्न की गई। इसके पश्चात् भजन-कीर्तन के कार्यक्रम रखे गए थे। इस मौके पर सामूहिक आरती के बाद जैतखंभ पर परंपरानुसार ध्वजारोहण भी किया गया। पर्व पर आयोजित होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों में इसका विशेष महत्व माना जाता है।

नारियल,अक्षत,पुष्प तथा अन्य श्वेत सामग्रियों से जैतखंभ का पूजन किया गया। सतनाम धर्मावलंबियों ने सामूहिक रुप से जैतखंभ की परिक्रमा कर बाबा घासीदास के बताए हुए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। दोपहर 1 बजे समाज के युवाओं ने कार्यक्रमस्थल से बाईक रैली निकाली।

बाईक रैली आस-पास के गांवों से होते हुए पत्थलगांव शहर के तीनों मुख्य मार्गों का भ्रमण किया इस दौरन युवक उत्साहपूर्वक जयकार के नारे लगाते रहे। सैकड़ों युवक इसमें शामिल हुए। दोपहर 3 बजे पत्थलगांव के अंबेडकरनगर से शोभायात्रा प्रारंभ हुई। इसके लिए बाबा घासीदास की भव्य झांकी तैयार की गई थी वहीं फूलों से झांकी को आकर्षक ढंग से सजाया गया था। वहीं शोभायात्रा के लिए इंदिरा चौक की विशेष सजावट की गई थी।

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इस दौरान युवाओं द्वारा जमकर आतिशबाजी की गई। वहीं लोग बाबा घासीदास की जयकार के नारे लगाते रहे। पत्थलगांव, महादेवटिकरा, सारसमार, गोढ़ी, कुमेकेला, लंजियापारा, ईला, भाथूडांड़, दीवानपुर, बूढ़ाडांड़, करुमहुआ, इंजको के साथ ही जिले भर से सतनाम धर्म के अनुयायी शोभायात्रा में शामिल हुए।

शोभायात्रा अंबिकापुर रोड,रायगढ़ रोड और जशपुर रोड होते हुए महादेवटिकरा स्थित कार्यक्रम स्थल पहुंची। इस मौके पर यहां समारोह तथा रात्रि में सामूहिक भोज का आयोजन किया गया। वही जयंती के मौके पर गांव में तीनदिवसीय मेले का भी आयोजन किया गया है।

जिला कार्यकारिणी संरक्षक तथा नगरपंचायत उपाध्यक्ष जनार्दन पंकज,जीतराम मिर्रे,जिलाध्यक्ष बोधराम सक्सेना, प्रांतीय सदस्य पी आर अजय,दयाराम खुंटे,कार्यक्रम अध्यक्ष युवा समिति होरीलाल भारद्वाज,जिला सचिव एस एस भारद्वाज,जिला उपाध्यक्ष गीता भारद्वाज,महामंत्री गायत्री बघेल,जिला सहसंरक्षक गौरी टंडन,ब्लॉक सचिव अक्षय कुर्रे,शिवकुमार टंडन,संतोष टांडे,अनिल मिर्रे,अशोक कुर्रे,मनोज कुर्रे,हीरा सक्सेना,उमेश,सुरेन्द्र,सूरज समेत बड़ी संख्या में सतनाम समाज के लोग इसमें शामिल हुए।

बिखरी लोकसंस्कृति की छटा

पंथी नृत्य को सतनाम धर्म के अनुयायियों की विशेष पहचान माना जाता है। गुरू घासीदास जयंती के मौके पर इस बार भी पंथीनृत्य आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा। पारंपरिक वेशभूषा में सजे और पारंपरिक लोकगीतों पर थिरकते पंथी लोकनर्तकों ने शोभायात्रा की अगुवाई की वहीं इस बार इंदिरा चौक पर पंथी नृत्य का विशेष आयोजन किया गया था। अलग-अलग पंथी नर्तक दलों ने यहां अपनी कला प्रदर्शित की।

इसे लेकर सतनामी समाज के युवकों में खासा उत्साह देखने को मिला। इस बार इसके लिए विशेष तौर पर सतनामी नवयुवक समिति का गठन किया गया था। इस मौके पर महादेवटिकरा में पंथी नृत्य पर विशेष प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। जिसमें दर्जनों मंडलियों ने भाग लिया। प्रतियोगिता के पश्चात् महासमुंद से आई नरेश बंजारे द्वारा यहां कार्यक्रम प्रस्तुत किया। परंपरागत परिधान में युवकों द्वारा प्रस्तुत पंथी नृत्य ने यहां लोकसंस्कृति की छटा बिखेरी।

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पूरी की मन्नतें

गुरु घासीदास जयंती के मौके पर लोगों ने अंबेडकरनगर स्थित जैतखंभ पर आकर अपनी मन्नतें पूरी की। लोग जमीन पर लेटकर कई किमी की दूरी तय करने के बाद यहां पहुंचे थे। समाज के लोगों द्वारा उनके रास्ते को झाड़ू से साफ किया जा रहा था वहीं अन्य लोग पवित्र जल एवं पुष्पों का छिड़काव करते उनके साथ चल रहे थे। छग प्रगतिशील सतनामी समाज के जिला सचिव एस एस भारद्वाज ने बताया कि समाज के लोगों द्वारा मनोकामना पूर्ति के लिए बाबा घासीदास से मन्नत मांगी जाती है।

इच्छित कामना पूरी होने पर लोग अपनी मन्नत के अनुसार स्वेच्छा से तय की गई दूरी जमीन पर लेटकर तय करते हुए जैतखंभ तक पहुंचते हैं। यहां सात परिक्रमा पूरी कर आरती करने के बाद ही मन्नत पूरी मानी जाती है। घासीदास जयंती के मौके पर कई लोगों ने यहां आकर अपनी मन्नत पूरी की और जैतखंभ पर प्रसाद अर्पित कर जीवन में सफलता और पारिवारिक दुखों के निवारण का वरदान मांगा।