ऐसे लोग जो किसी दुर्घटना में अपने हाथ खो चुके हैं या जन्म से ही हाथ नहीं है, उनकी मदद का बीड़ा उठाया है सुधर्म जैन समाज और श्री वर्धमान मित्र मंडल ने। देवेंद्र नगर, सेक्टर-4 में निशुल्क कृत्रिम हाथ वितरण शिविर लगाया गया है जहां 75 दिव्यांगों के लिए कृत्रिम हाथ तैयार किए जा रहे हैं। इन हाथों की खासियत यह है कि ये बमुश्किल डेढ़ से दो किलो वजनी हैं, लेकिन एक ट्रक का भार सहने लायक मजबूत हैं। साथ ही साथ दिव्यांग इसके जरिए लिखने, खाने-पीने या काफी-चाय कप पकड़ने जैसे काम बेहद आसानी से कर सकेंगे। इतना ही नहीं, वे इसकी मदद से बाइक भी चला सकेंगे।
जन्म से दिव्यांग रीमा चाहती हैं गाड़ी चलाना
बिलासपुर की रीमा शर्मा जन्म से दिव्यांग हैं। उनका एक भाई है, माता-पिता नहीं हैं। रीमा कहती हैं कि वे वह अपना हर काम खुद करना चाहती हैं। अपने दम पर उन्होंने सरकारी नौकरी हासिल की, लेकिन अब भी बहुत कुछ है जो वे करना चाहती हैं, लेकिन हाथ न होने की वजह से नहीं कर पातीं। गाड़ी चलाना और डांस करना उनका सपना है। वे कहती हैं कि कृत्रिम हाथ लगते ही वे सबसे पहले गाड़ी चलाना चाहेंगी। फिर क्लासिकल डांस सीखने के लिए डांस क्लास भी ज्वाइन करेंगी।
चार माह पहले दुर्घटना में खोया हाथ
बलौदाबाजार के राजेंद्र ध्रुव 4 माह पहले एक दुर्घटना में अपना एक हाथ खो चुके हैं। उनके भाई कमलेश ध्रुव बताते हैं कि राजेंद्र विद्युत विभाग में काम करते थे। 4 माह पहले काम के दौरान करंट लगने से उनका एक हाथ बुरी तरह से झुलस गया था। 3 माह से अस्पताल में भर्ती थे। अब कृत्रिम हाथ लगने के बाद वे एक बार फिर नई ऊर्जा के साथ काम पर जाने के लिए तैयार हैं।
पिछली दिवाली पर हाथ खोया, अब मिलेी खुशी
सीए सेकंड ईयर में पढ़ रही भूमिका का पिछले साल दिवाली पर एक्सीडेंट हुआ था। जिसमें उसने एक हाथ खो दिया, फिर भी हिम्मत नहीं हारी। अपनी सहेलियों को मोपैड चलाकर कॉलेज आते-जाते देखकर वह उदास जरूर होती थी, लेकिन अब कृत्रिम हाथ के जरिए वह खुद भी मोपैड चलाने में सक्षम होगी। इस बात से वह बेहद खुश है।
मशीन से हाथ कटा, उम्मीद कायम
आगरा के पलन अहिरवार का हाथ मशीन में कट गया था। पहले ट्रैक्टर चलाकर गुजारा करते थे, अब हाथ कटने से वे बेरोजगार हो गए हैं। उन्हें विश्वास है कि कृत्रिम हाथ लग जाने से वे दोबारा ट्रैक्टर चला पाएंगे।
जयपुर से आए कारीगर
कृत्रिम हाथ बनाने के लिए राजस्थान के जयपुर से अंकित जैन के नेतृत्व में 4 सदस्यीय कारीगरों की टीम आई है। उनके साथ चेतन गिरी गोस्वामी, प्रकाश चौधरी और ताहिर अली सेवाएं दे रहे हैं। वे बताते हैं कि कृत्रिम हाथ 5 साल से अधिक उम्र के लोगों को ही लगाए जाते हैं। इसके लिए कंधे के नीचे 4 इंच का हिस्सा होना जरूरी है।
सभी जाति के लोगों को लाभ
सुधर्म जैन समाज के अध्यक्ष हरख मालू का कहना है कि जैन समाज सर्वधर्म समभाव में विश्वास रखता है और इसी मूलमंत्र को आधार मानकर इस शिविर का आयोजन किया गया है। इसके लाभार्थी हिंदू भी हैं और मुस्लिम भी। सिख, ईसाई समुदाय के लोगों को भी इसका लाभ दिया जा रहा है। कृत्रिम हाथ मिलने के बाद दिव्यांग एक आम इंसान की तरह जिंदगी जी पाएंगे।
113 सदस्य दे रहे सेवा
श्री वर्धमान मित्र मंडल के अध्यक्ष अभिषेक गांधी ने बताया कि 113 युवा सदस्य दिन-रात अपनी सेवाएं दे रहे हैं।