बीजिंग। यूं तो सिंगापुर पहले से ही चीन के संपन्न वर्ग के लोगों के बीच पहली पसंद रहा है लेकिन कोरोना के बाद कुछ वजहों से चीनी लोग इस द्विपीय देश में जाकर बस रहे हैं। कोरोना के कारण लगाए गए आर्थिक लॉकडाउन से जहां चीन की अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ी हुई है, वहीं सिंगापुर की आर्थिक स्थिति में तेजी से सुधार देखने को मिल रहा है। चाहे पर्यटन स्थलों को फिर से खोलने के मामला हो या बिजनेस का मामला, यदि देश एक बार फिर से कोरोना से पहले की स्थिति में लौट रहा है।
ताइवान की ओर बढ़ता तनाव भी वजह:
कोरोना के कारण चीन में कई बंदिशें लागू हैं, ऐसे में चीनी व्यापारी निवेश और स्थायी निवास के लिए सिंगापुर का रुख कर रहें हैं। इसके अलावा ताइवान को लेकर बढ़ता तनाव भी इसकी एक बड़ी वजह है। चीनी अमीर लोग चीन और अमेरिका के बीच पिसने से बचने के लिए ऐसा कर रहे हैं। चीन के लोग इस बात से भी सावधान हो गए हैं कि हाल ही में अलीबाबा जैसे बड़े खिलाड़ियों के साथ सरकार द्वारा कैसा सुलूक किया गया है।
सिंगापुर ने किया नियम में बदलाव:
इसके साथ ही सिंगापुर ने अपने निवेश से होने वाली आय पर कर छूट के लिए अहर्ता प्राप्त करने के लिए पारिवारिक कार्यालयों के लिए न्यूनतम निवेश आवश्यकता में बढ़ोतरी की है। इसका मकसद सिंगापुर को टैक्स हेवन के रूप में उपयोग करने वाले विदेशियों की संख्या को कम करना है। सिंगापुर के अधिकारियों ने घोषणा की कि निवेशकों को अब सिंगापुर में कम से कम 10 मिलियन सिंगापुर डॉलर यानी करीब 56 करोड़ रुपये स्थानीय स्तर पर या अपनी संपत्ति के 10 प्रतिशत के बराबर (जो भी कम हो) खर्च करना होगा।
चीन, सिंगापुर का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार:
परिवारिक कार्यालय संरचना का मतलब सिंगापुर में एक निजी इकाई की स्थापना से है जो इसमें निवेश करने वाले परिवार के लिए निवेश और धन प्रबंधन को संभाल सकती है। धन प्रबंधन विशेषज्ञ मानो चुगानी के मुताबिक सिंगापुर की मजबूत आर्थिक संरचना हमेशा विदेशियों के लिए एक आकर्षक प्रस्ताव रही है। इस मौजूदा संदर्भ में चीन, सिंगापुर का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार भी है।
चीनी व्यापारियों पर पकड़ मजबूत कर रहा चीन:
हांगकांग पर चीन की पकड़ मजबूत होने के साथ, चीन देश में अपने व्यापारिक वर्गों पर पकड़ मजबूत कर रहा है। ऐसे में सिंगापुर चीनी व्यापारियों के लिए एक स्वाभाविक पसंद है बन गया है। हाल ही में चीन ने उच्च मध्यवर्ग पर साल के अंत के बोनस पर 45 फीसदी का भारी टैक्स लगाने का फैसला किया है। यह साल 2023 के अंत से लागू होगा।
सिंगापुर में 75 फीसदी चीनी लोग:
सिंगापुर की तीन चौथाई आबादी चीनी मूल की ही है। यहां बसना चीनी व्यापारियों के लिए कम जोखिम भरा हो सकता है। चूंकि हाल ही में यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण अमेरिका और यूरोपीय संघ ने रूसी निवेश और निवेशकों के खिलाफ प्रतिबंध लगाए थे। यह एक प्रमुख कारण है कि चीनी निवेशक, यूरोपीय देशों का रुख नहीं करना चाहते। भविष्य में ताइवान के कारण होने वाले संकट को देखते हुए चीनी निवेशक अपना सुरक्षित भविष्य सिंगापुर में ही देख रहे हैं।