संदीप गौतम, अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, धर्म दर्शन। आषाढ़ मास में आने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के नाम से जानते हैं। शास्त्रों के अनुसार, साल में 4 नवरात्रि पड़ती है। जिसमें दो सामान्य और दो गुप्त नवरात्रि होती है। सामान्य नवरात्रि में शारदीय और चैत्र नवरात्रि पड़ती है। वहीं दो गुप्त नवरात्रि पड़ती है। गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के साथ-साथ 10 महाविद्याओं का पूजा किया जाता है। आमतौर पर गुप्त नवरात्रि को तंत्र साधना के लिए काफी खास माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, गुप्त नवरात्रि 30 जून से शुरू होकर 9 जुलाई 2022 तक होगी।
जानिए घटस्थापना का मुहूर्त:
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2022 शुभ मुहूर्त आषाढ़ मास की प्रतिपदा तिथि आरंभ- 29 जून को सुबह 8 बजकर 22 मिनट से शुरू आषाढ़ मास की प्रतिपदा तिथि का समापन- 30 जून को सुबह 10 बजकर 49 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त- 30 जून को दोपहर 12 बजकर 3 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। घटस्थापना का शुभ मुहूर्त- 30 जून को सुबह 5 बजकर 48 मिनट से 10 बजकर 16 मिनट तक गुप्त नवरात्रि पूजा विधि गुप्त नवरात्रि की घट स्थापना बिल्कुल शारदीय नवरात्रि की तरह ही करें। इन नौ 9 दिनों में मां दुर्गा के सभी स्वरूपों के साथ महाविद्याओं का पूजा करें। इसके साथ ही मां दुर्गा के बताशे और लौंग का भोग जरूर लगाएं और हो सके तो सोलह श्रृंगार भी करें।
मां दुर्गा के स्वरूपों की पूजा:
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की तिथियां और मां दुर्गा के स्वरूपों की पूजा पहला दिन : प्रतिपदा तिथि – घटस्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा दूसरा दिन : द्वितीया तिथि – मां ब्रह्मचारिणी पूजा तीसरा दिन: तृतीया तिथि – मां चंद्रघंटा की पूजा चौथा दिन: चतुर्थी तिथि – मां कूष्मांडा की पूजा पांचवा दिन: पंचमी तिथि – मां स्कंदमाता की पूजा छठा दिन : षष्ठी तिथि – मां कात्यायनी की पूजा सातवां दिन: सप्तमी तिथि – मां कालरात्रि की पूजा
आठवां दिन: अष्टमी तिथि – मां महागौरी की पूजा नौवां दिन: नवमी तिथि – मां सिद्धिदात्री की पूजा 10 वां दिन- नवरात्रि का पारण गुप्त नवरात्रि में करें इन 10 महाविद्याओं की पूजा 1. देवी काली 2. तारा देवी 3. त्रिपुर सुंदरी देवी 4. देवी भुवनेश्वरी 5. देवी छिन्नमस्ता 6. त्रिपुर भैरवी देवी 7. धूमावती माता 8. बगलामुखी माता 9. मातंगी देवी 10. देवी कमला
गुप्त नवरात्रि पर किए जाने वाले कुछ विशेष प्रयोग:
नवरात्रि में शुभ संकल्पों को पोषित करने रक्षित करने, मनोवांछित सिद्धियां प्राप्त करने के लिए और शत्रुओ को मित्र बनाने वाले मंत्र की सिद्धि का योग होता है।
शत्रु को मित्र बनाने के लिए:
नवरात्रि में स्नानादि से निवृत हो कर तिलक करें एवं दीपक जलाकर यदि कोई बीज मंत्र
‘हूं’ (Hum) अथवा ‘अं रां अं’ (Am Raam Am)
इस मंत्र की 21 माला जप करे एवं ‘श्री गुरुगीता’ का पाठ करें तो शत्रु भी उसके मित्र बन जायेंगे l
माताओं-बहनों के लिए विशेष कष्ट निवारण हेतु प्रयोग:
जिन माताओं बहनों को दुःख और कष्ट ज्यादा सताते हैं, वे नवरात्रि के प्रथम दिन (देवी-स्थापना के दिन) दिया जलायें और कुम-कुम से अशोक वृक्ष की पूजा करें, पूजा करते समय निम्न मंत्र बोलें :
“ अशोक शोक शमनो भव सर्वत्र नः कुले ”
भविष्योत्तर पुराण के अनुसार नवरात्रि के प्रथम दिन इस तरह पूजा करने से माताओ- बहनों के कष्टों का जल्दी निवारण होता है l
माताओं बहनों के लिए विशेष कष्ट निवारण हेतु प्रयोग:
शुक्ल पक्ष तृतीया (2 जुलाई) के दिन में सिर्फ बिना नमक मिर्च का भोजन करेंl (जैसे दूध, रोटी या खीर खा सकते हैं, नमक मिर्च का भोजन अगले दिन ही करें l)
” ॐ ह्रीं गौरये नमः “
“Om Hreem Goryaye Namah”
- मंत्र का जप करते हुए उत्तर दिशा की ओर मुख करके स्वयं को कुमकुम का तिलक करें l
- गाय को चन्दन का तिलक करके गुड़ और रोटी खिलाएं l
भाइयों के लिए श्रेष्ठ अर्थ (धन) की प्राप्ति हेतु
प्रयोग : नवरात्रि में देवी के एक विशेष मंत्र का जप करने से श्रेष्ठ अर्थ कि प्राप्ति होती है मंत्र ध्यान से पढ़ें :
” ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमल-वासिन्ये स्वाह् “
” OM SHREEM HREEM KLEEM AIM KAMALVAASINYE SWAHA “
स्तोत्र ? (वेद-व्यास जी, देवी भागवत)
विद्यार्थियों के लिए :
- ? प्रथम नवरात्रि के दिन विद्यार्थी अपनी पुस्तकों को ईशान कोण में रख कर पूजन करें और नवरात्रि के आखिरी तीन दिन विद्यार्थी सारस्वत्य मंत्र का जप करें।
- ? इससे उन्हें विद्या प्राप्ति में अपार सफलता मिलती है l
- ☀️ बुद्धि व ज्ञान का विकास करना हो तो सूर्यदेवता का भ्रूमध्य में ध्यान करें ।
- जिनको गुरुमंत्र मिला है वे गुरुमंत्र का, गुरुदेव का, सूर्यनारायण का ध्यान करें।