लंदन की कोर्ट में हैदराबाद के निजाम द्वारा पाकिस्तान को दी गई रकम भारत को लौटाने का फैसला दिया है. ये मामला सातवें निजाम से जुड़ा है. इस निजाम की रईसी के किस्से दुनियाभर में कहे और सुने जाते हैं. एक किस्सा ये भी है कि इस निजाम ने 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध भारतीय सेना के फंड में 5000 किलो सोना दान में दे दिया था. ये चर्चा लगातार कही-सुनी जाती है.
क्या ये वास्तव में सच है. हैदराबाद के सातवें निजाम मीर उस्मान अली खान की कंजूसी की बातें भी आमतौर पर उतनी ही चर्चाओं में रहती हैं लेकिन ये सही है कि हैदराबाद रियासत अंग्रेजों के जमाने में भारत की सबसे बड़ी, ताकतवर और सबसे ज्यादा पैसे वाली रियासत थी.
अब हम अपने मूल सवाल पर आते हैं कि क्या निजाम ने वास्तव में भारतीय सेनाओं के लिए अपने निजी कोष से 5000 किलो सोना दान में दिया था. माना जाता था कि निजाम के पास टनों सोना और किलो के हिसाब से बेशकीमती हीरे थे.
आरटीआई में पूछा गया था सवाल
पिछले दिनों ये बात आरटीआई में भी पूछी गई थी कि क्या वास्तव में निजाम ने नेशनल डिफेंस फंड में 5000 किलो सोना दान किया था. तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पाकिस्तान के खिलाफ हुए युद्ध के बाद पूरे देश से सेना के कोष में दान की अपील कर रहे थे. इस सिलेसिले में उन्होंने पूरे देश का दौरा किया था. वो हैदराबाद जाकर निजाम से भी मिले थे.
युद्ध के बाद डगमगाई हुई थी अर्थव्यवस्था
युद्ध के बाद हमारी अर्थव्यवस्था डगमगाई हुई थी. तब ये अटकलें फैलने लगीं थीं कि निजाम ने बड़े पैमाने पर देश को सोना दिया और कहा था कि उन्हें केवल इसके बॉक्स लौटा दिए जाएं.
निजाम ने दिया था कितना सोना
वास्तव में निजाम ने सोना दिया जरूर था लेकिन दान के रूप में नहीं और 5000 किलो भी नहीं बल्कि 425 किलो. ये सोना उन्होंने तब नेशनल डिफेंस गोल्ड स्कीम में निवेश किया था. आर्थिक तौर पर उन खस्ताहाल दिनों में उन्हें तब इस पर 6.5 फीसदी की दर से ब्याज मिलना था.
एक अंग्रेजी की अखबार की रिपोर्ट
तब एक अखबार की 11 दिसंबर 1965 की रिपोर्ट ज्यों की त्यों प्रस्तुत है-
प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और हैदराबाद के निजाम के बीच एयरपोर्ट पर मुलाकात हुई. दोनों ने आपस में हल्की बातचीत भी की. हैदराबाद के वृद्ध पूर्व शासक एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री का स्वागत करने और उनसे मिलने गए थे.
बाद में शाम को एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए श्री शास्त्री ने निजाम को 4.25 लाख ग्राम सोना निवेश करने के लिए उन्हें बधाई दी. ये धन उन्होंने गोल्ड बांड में निवेश किया था. जिसकी कीमत 50 लाख रुपए थी. इसमें सोने की मोहरें थीं, जिनकी असली कीमत उनकी शुद्धता की जांच के बाद ही सही तरीके से की जाएगी.
तब तिरुपति ने किया था 125 किलो सोने का दान
शास्त्री ने कहा था, हम इन सोने की मोहरों को गलाना नहीं चाहते लेकिन किसी बाहर किसी दूसरे देश में भेजना चाहते हैं ताकि इसकी ज्यादा कीमत मिल जाए. इससे हमे करोड़ रुपए भी मिल सकते हैं.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने भी 1.25 लाख ग्राम सोने को दान में दिया है और एक तेलुगु फिल्म स्टार ने दान के रूप में सरकार को आठ लाख रुपए दिए हैं.