पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक दुर्गा पूजा समिति, थीम संगीत के तौर पर संस्कृत भजन के साथ अजान बजाकर विवादों में आ गयी है। समिति पर कानूनी कार्रवाई होने का खतरा मंडरा रहा है। इस समिति के संरक्षक तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता हैं।
बहरहाल, आयोजक इस बात पर जोर देर रहे हैं कि इस साल पूजा के लिए समिति ने ‘सांप्रदायिक सौहार्द’ की थीम का चयन किया था। इसी के तहत ऐसा किया गया।
प्रभात खबर पर छपी खबर के अनुसार, उत्तर कोलकाता के एक पंडाल के अंदर कुछ आगंतुकों ने शिकायत की कि संस्कृत के भजनों के साथ-साथ अजान की आवाज आ रही थी। अजान मस्जिद से होती है और यह लोगों को मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए बुलाने के लिए होती है।
बहरहाल, पूजा समिति ने अपने निर्णय का बचाव करते हुए कहा कि ऐसा सामुदायिक पूजा की थीम के तहत किया गया है, जो सांप्रदायिक सौहार्द है।
कलकत्ता हाइकोर्ट के वकील शांतनु सिंह ने कहा कि उन्होंने बेलियाघाटा थाना में शुक्रवार को शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया है कि आयोजक दुर्गा पूजा पंडाल में अजान की इजाजत देकर पश्चिम बंगाल की ‘शांति व्यवस्था’ में खलल डाल रहे हैं।
परेश पाल ने कहा कि समावेश की भावना को पेश करने के लिए पूजा पंडालों को मंदिर, चर्च और मस्जिद का रूप दिया गया है। पाल ने कहा कि पूजा समिति किसी संगठन या व्यक्ति से भयभीत नहीं होगी। उन्हें प्राथमिकी दर्ज कराने दें या कानूनी रास्ता अपनाने दें। हम लड़ेंगे।
उन्होंने कहा, ‘क्या हिंदू, मुसलमान की ओर से दी गयी इफ्तार की दावत में शामिल नहीं होते हैं? क्या मुस्लिम विजय दशमी नहीं मनाते हैं? बंगाल का विश्वास हमेशा से एकजुटता में रहा है… जिन लोगों को बंगाल की दुर्गा पूजा के बारे में कोई समझ नहीं है, वे नफरत का संदेश फैला रहे हैं।