दिल्ली के गुरुद्वारा बंगला साहिब में बनने वाली लंगर की दाल में प्लास्टिक की दाल पकने की खबर सामने आई है. यह सिलसिला लगातार दो दिनों तक चला. इस वजह से पहले दिन (मंगलवार) करीब 30 किलो पकी हुई दाल फेंकनी पड़ी.
दाल बनने से पहले ही ड्रम में रखी नकली दाल देखकर उसे फेंक दिया गया. इस घटना के बाद से दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने सभी बड़े गुरुद्वारों में लंगर हॉल की सुरक्षा दुरुस्त कर दी है.
गुरुद्वारा कमेटी ने संगतों से अपील की है कि गुरुद्वारों में खुली रसद मंजूर नहीं की जाएगी. आटा-दाल-चावल जो भी देना है पैकेट में ही दें.
पूरी दाल को भी फेंक दिया
जानकारी की मुताबिक, गुरुद्वारे में मंगलवार को लंगर के लिए 30 किलो दाल पकाई गई थी, जिसे परोसे जाने पर कई लोगों ने दावा किया कि ये ‘प्लास्टिक की दाल’ है. लोगों की इस शिकायत के बाद गुरुद्वारा प्रबंधन ने पूरी 30 किलो दाल फेंक दी.
इसके दूसरे दिन एक बार फिर जब दाल पकाने के लिए ड्रम खोला गया तो उसमें भी नकली दाल मिलने की बात सामने आई. शिकायत के बाद ड्रम में रखी पूरी दाल को भी फेंक दिया गया.
सीसीटीवी कैमरों से निगरानी
सूत्रों के मुताबिक गुरुद्वारा कमेटी ने ऐसे लोगों को पकड़ने के लिए जाल बिछाया है. सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखी जा रही है. बता दें कि गुरुद्वारा बंगला साहिब के अलावा रकाबगंज साहिब, सीसगंज साहिब, नानक प्याऊ, मोती बाग, मजनू का टीला में 24 घंटे लंगर चलता है.
हजारों लोग रोजाना इन गुरुद्वारों में लंगर करते हैं. सूत्रों का कहना है कि बंगला साहिब में समय रहते लंगर बनाने वालों ने दाल देख ली, वरना कुछ भी हो सकता था. बनी हुई दाल में प्लास्टिक की दाल काफी चमक रही थी जिसके चलते लांगरी को शक हुआ.
‘पूरी सावधानी बरत रहे हैं’
गुरुद्वारा कमेटी के प्रेजिडेंट मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि बड़ी हैरानी की बात है कि कोई है जो लंगर को बदनाम करना चाहता है. ऐसे में सभी गुरुद्वारों और सिंह सभाओं को इसके लिए अलर्ट रहना चाहिए.
सिरसा ने कहा कि हम अब पूरी सावधानी बरत रहे हैं. लंगर हॉल के बाहर और अंदर पहले से ज्यादा स्टाफ की तैनाती कर दी गई है. रात में जो भी रसद ले रहा है, वह दाल और हर आइटम को देखने के बाद ही लंगर में इस्तेमाल करेगा.
‘नकली दाल देने वाले कौन लोग हैं’
बंगला साहिब गुरुद्वारे में नकली दाल मिलने के बाद जागो कमेटी ने गुरुद्वारा कमेटी ने हमला बोला है. पार्टी के महासचिव परमिंदरपाल सिंह ने कहा कि कम से कम सिरसा ये तो मानते हैं कि नकली दाल मिलने के बाद दो बार दाल को फेंका गया.
हालांकि वह ये अभी तक नहीं बता पाए हैं कि गुरुद्वारा में नकली दाल देने वाले कौन लोग हैं. यहां ये भी सोचने वाली बात है कि जब दाल बन गई उसके बाद इसके बारे में पता चला. इसका मतलब साफ है कि दाल को बिना चुगे और भिगोए ही देग में पलट दिया गया है.