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कब है अंगारक संकष्टी चतुर्थी ? क्या है महत्व?

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, धर्म दर्शन। माघ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली संकष्टी चतुर्थी को ‘अंगारक चतुर्थी’ और ‘वक्रतुंड चतुर्थी’ भी कहा जाता है। जीवन के समस्त प्रकार के संकटों का नाश करने, सुख-समृद्धि में वृद्धि करने और पारिवारिक, वैवाहिक सुख की प्राप्ति के लिए संकट चतुर्थी व्रत किया जाता है। इसी अंगारक चतुर्थी के दिन से वर्षभर की संकट चतुर्थी का व्रत प्रारंभ किया जाता है। इस बार अंगारक चतुर्थी 10 जनवरी 2023 मंगलवार को आ रही है। मंगलवार को आने के कारण ही इसे अंगारक चतुर्थी कहा जाता है।

चंद्रोदय के समय चंद्रदेव की पूजा होती है

माघ मास की अंगारक चतुर्थी के दिन से व्रत का आरंभ करके प्रत्येक मास की संकट चतुर्थी को व्रत किया जाता है। इस दिन चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी लेकर सायंकाल में गणेशजी का पूजन कर चंद्रोदय के समय चंद्रदेव की पूजा की जाती है। दिन भर निराहार व्रत रखा जाता है। रात्रि में चंद्र का पूजन करके व्रत खोला जाता है। दिन में एक बार गणेशजी का पूजन करके चतुर्थी की कथा सुनी जाती है।

क्यों किया जाता है संकट चतुर्थी व्रत

  • संकट चतुर्थी व्रत संकटों का नाश करने के लिए किया जाता है। जीवन में अगर कोई बड़ा संकट आ गया है। चाहे वह पारिवारिक हो, बाहरी हो, कामकाज से संबंधित हो या वैवाहिक जीवन से जुड़ा हो, उसे दूर करने के लिए संकट चतुर्थी व्रत किया जाता है।
  • परिवार में कोई लगातार बीमार रहता हो, काफी प्रयत्नों के बाद भी यदि रोग ठीक नहीं हो रहा है तो रोगी के नाम से परिवार का कोई सदस्य संकट चतुर्थी व्रत करे तो रोगी को शीघ्र लाभ होने लगता है।
  • आर्थिक संकटों के समाधान और कर्ज मुक्ति के लिए संकट चतुर्थी व्रत किया जाता है।
  • यदि कामकाज ठीक से नहीं चल रहा है। नौकरी में उन्नति नहीं हो रही है या व्यापार में लगातार हानि हो रही है तो यह वर्षभर व्रत करना चाहिए। इससे निश्चित रूप से निराकरण होता है।

    व्रत का उद्यापन है आवश्यक

    वर्ष भर की चतुर्थी करने के बाद अंतिम चतुर्थी पर इस व्रत का उद्यापन किया जाता है। किसी विद्वान पुरोहित को बुलाकर व्रत का उद्यापन संपन्न करवाना चाहिए।

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