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एसबीआई के कैशियर ने एफडी के नाम पर लगाया पौने दो करोड़ का चूना, 150 लोगों को ऐसे बनाया शिकार…

डेढ़ सौ से भी ज्यादा लोगों के करीब पौने दो करोड़ रुपये के गबन के आरोपी बैंककर्मी ने सोमवार को देहरादून में विजिलेंस कोर्ट में सरेंडर कर दिया। आरोपी स्टेट बैंक की लालढांग शाखा में कैशियर था, जहां से वह निलंबित चल रहा था। वहीं, घटना में शामिल रहे दूसरे को आरोपी को हरिद्वार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। लालढांग में स्टेट बैंक की एकल शाखा में वर्ष 2018 में यह घोटाला सामने आया था। बैंक प्रबंधक हर्ष तिवारी ने इस संबंध में कैशियर रहे विभोर चंद्र के खिलाफ श्यामपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। बैंक प्रबंधन ने कैशियर को निलंबित करते हुए भेल में कार्यालय में अटैच कर दिया था। इधर आरोपी बैंककर्मी को बिना साक्ष्य गिरफ़्तारी पर स्टे मिल गया था।

बेहद मिलनसार स्वभाव के बैंककर्मी विभोर चंद्र की करतूत का खुलासा एक ग्राहक के बैंक पहुंचने पर हुआ। दरअसल, एक ग्राहक जब अपनी एफडी तुड़वाने पहुंचा, उस दिन विभोर चंद्र छुट्टी पर था। वह फिर बैंक मैनेजर से मिला। बैंक मैनेजर ने पाया कि उस ग्राहक की तो एफडी ही नहीं थी। संदेह होने पर उसने बैंक के आला अफसरान को जानकारी दी। विभागीय जांच हुई तब बैंककर्मी का गबन पकड़ा गया।

फर्जी रसीद के सहारे कर रहा था गड़बड़ सोमवार को आरोपी बैंककर्मी विभोर चंद्र पुत्र केशव चंद्र निवासी भेल सेक्टर एक ने देहरादून में विजिलेंस कोर्ट में सरेंडर कर दिया। उसके दोस्त दूसरे आरोपी गैरी टंडन पुत्र महेश कुमार टंडन निवासी शिवालिक नगर को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी गैरी टंडन का शिवालिक नगर में टाइल्स का व्यवसाय है।

आरोपी बैंककर्मी एफडी करने या खाता खुलवाने आने वाले आमजन का विश्वास हासिल कर लेता था। इसके बाद उन्हें एफडी की कंप्यूटराइज्ड रसीद की जगह फर्जी रसीद थमा देता था।

विवेचनाधिकारी सीओ सिटी अभय प्रताप सिंह की जांच में सामने आया कि आरोपी इस पूरे फर्जीवाडे को अपनी एक डायरी में दुरूस्त भी रखता था। अगर कोई एक साल पूरा होने पर एफडी तुड़वाने आ जाता था तो वह उसे रकम दे देता था।

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दोस्त के खाते में स्थानांतरित करता था रकम विवेचनाधिकारी के मुताबिक आरोपी बैंककर्मी आमजन के बैंक खातों से रकम अपने दोस्त गैरी टंडन के खाते में ट्रांसफर कर देता था, जिसका खाता उसने भेल की ब्रांच से अपनी ब्रांच में ट्रांसफर कराया था। सीओ सिटी ने बताया कि आरोपी वर्ष 2010 से 2018 तक करीब आठ साल तक गबन करता रहा।

सचेत रहें आमजन
गबन का खुलासा होने के बाद पुलिस ने भी आमजन को सलाह जारी की है। बैंक खाते का मोबाइल फोन नंबर से लिंक होना बेहद जरुरी है, ताकि रकम निकालने या जमा होने पर तुरंत मैसेज आ जाए। एफडी की हाथ से लिखी कोई रसीद नहीं होती है बल्कि कंप्यूटराइज्ड रसीद आजकल मिलती है। बैंक खाते में रकम जमा कराने से ही एफडी बनती है, सीधे एफडी नहीं बनती है।