शाम होते ही ये चिराग़ रोशन हो उठेंगे और अयोध्या का नाम एक बार फिर इतिहास में दर्ज हो जाएगा.
दो साल पहले शुरु हुए दिये के इस उत्सव को, जिसे ‘दीपोत्सव’ नाम दिया गया है, में चिराग़ों की संख्या साल-दर-साल बढ़ती रही है, और इस बार साढ़े पांच लाख दियों के जलने के साथ कार्यक्रम का नाम गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हो जाएगा.
सरयू नदी के किनारे बने राम की पौड़ी पर हर तरफ़ दिये ही दिये नज़र आते हैं.
गले में वॉलेंटियर वाला कार्ड लटकाए, झुके, अध-झुके, या फिर पूरी तरह ज़मीन पर बैठे, पचासों युवक-युवतियां इन्हें क़तारों में सजा रहे हैं. कहीं इन्हें फूलों की शक्ल दी गई है तो कहीं स्टील फ्रेम के डिज़ायनों पर चिपकाने से इन दियों ने एक नया रंग ले लिया है.
इला शुक्ला की स्वयंसेवी संस्था से तक़रीबन तीस बच्चे यहां आए हैं और वे इस आयोजन का हिस्सा नकर बहुत खुश हैं.
इस शोर-ओ-ग़ुल से बेख़बर कुछ स्थानीय पेंटर, घाट की सीढ़ियों से परे कार्डबोर्ड के बने हाथी, घोड़ों और ऊंटों को पेंट कर रहे हैं.
राम द्वार के पास वाली सड़क का कायम शायद अधूरा रह जाए लेकिन मुन्ना को यक़ीन है कि मंदिर के गेट की ऊपर वाली दीवार की पुताई कुछ घंटों में पूरी हो जाएगी.
बिहार से आए अजय कुमार झा हमें मोतिहारी मंदिर की तरफ़ जाते मिल जाते हैं और बताते हैं कि वो ‘पूरे कार्तिक माह अयोध्या में रहेंगे और पांच कोसी और तेरह कोसी परिक्रमा करके जाएंगे.’
अजय कुमार झा और पत्नी माला झा ने ‘दीपोत्सव के मुताल्लिक़ सुन रखा है इसलिए ख़ासतौर पर इसी समय अयोध्या आने का प्लान बनाया’ है.
दोपहर तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विशेष अतिथि फिजी की मंत्री वीणा भटनागर के साथ यहां पहुंच जाएंगे. पिछले साल ख़ास मेहमान थीं दक्षिण कोरिया की किम जॉंग सुक.
उत्तर प्रदेश हुकूमत ने इंतज़ाम किया है रामायण से संबंधित कई झाकिंयों का – उनमें से एक में राम और सीता हेलीकॉप्टर से अवतरित होंगे और फिर भरत मिलाप होगा. फिर होगी आरती और दीपों को रोशन करने का काम.
राम की पौड़ी से पांच-सात सौ मीटर दूर अयोध्या शहर अपने हर रोज़ के रंग में जी रहा है, राम की पौड़ी के एक किनारे रामकथा जारी है.
पास ही ख़ड़े पुराने मंदिरों और कभी ख़ूबसूरत रहे मकानों को उनपर उग आए घास और पेड़ दरका रहे हैं.
स्थानीय पत्रकार स्कन्ददास कहते हैं ये सब संतों का खेल है, उनका भंडार चलता रहे, मठ में पैसे आते रहें उन्हें अयोध्या से कोई लेना देना नहीं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि सामान्यत: स्थानीय लोगों को दीपोत्सव स्थल पर मंत्रियों, अधिकारियों और पत्रकारों के जाने के बाद ही जाने को मिलता है, हां कुछ लोग वॉलेंटियर के तौर पर काम कर रहे होते हैं.
मगर इला शुक्ला का कहना है कि तीन साल पहले तक जब अयोध्या का नाम लेते थे तो सोचना पड़ता था लेकिन योगी जी ने सबकुछ बदल दिया.
अंजू रघुवंशी हालांकि विकास के सवाल पर कहती हैं कि हां इससे राम की पौड़ी का विकास तो हुआ है लेकिन स्थानीय लोगों की ज़िंदगी में कोई विकास नहीं आया है.