सीमा सड़क संगठन की बनाई वैकल्पिक भीम बेस-डोकला सड़क की वजह से अब भारतीय सेना का डोकलाम घाटी पहुंचना पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा आसान हो गया है. पहले भारतीय जवानों को डोकलाम पहुंचने के लिए पहाड़ी पगडंडी पर चढ़ाई करनी पड़ती थी. बता दें कि डोकला घाटी में ही भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं. इसके बाद 73 दिन तक दोनों देशों के बीच तनाव का माहौल बन रहा. आपसी बातचीत के बाद संकट टला और सेनाएं पीछे हटी थीं. डोकलाम में ही चीन की चुंबी घाटी भी है. यहां भूटान और भारत की सीमाएं भी मिलती हैं.
इस सड़क से बदल जाएंगे भारत-चीन सैन्य समीकरण
बीआरओ की बनाई इस सड़क से भारतीय सेना को डोकला बेस (Doka la base) तक पहुंचने में अब महज 40 मिनट लगेंगे. पहले जवानों को यहां तक पहुंचने में 7 घंटे लग जाते थे. कहा जा रहा है कि डोकलाम में सड़क का निर्माण दोनों देशों बीच सैन्य समीकरणों को बदल सकता है. बता दें कि बीआरओ को 2015 में ही इस सड़क के निर्माण की मंजूरी दे दी गई थी. डोकलाम विवाद के समय भारतीय जवानों को यहां तक पहुंचने में सात घंटे लग गए थे. इसके बाद सड़क निर्माण पर जोर दिया गया. बीआरओ ने कहा है कि उसने डोकला बेस तक जाने वाली सड़क का निर्माण कार्य खत्म कर लिया है. यह सड़क सिक्किम (Sikkim) के करीब डोकलाम घाटी में प्रवेश करती है. यह सड़क हर मौसम के लिए मुफीद है. इस सड़क के जरिये कितने भी वजन ढोया जा सकता है.
बीआरओ भारत-चीन सीमा पर बना चुका है 61 सड़कें सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस सड़क के पूरा होने से जवानों को एक जगह से दूसरे स्थान पर भेजने और सैन्य मदद भेजने में आसानी होगी. वहीं, बीआरओ का कहना है कि दुश्मन देश की किसी भी कार्रवाई से भारत की सैन्य तैयारियों को यह सड़क रफ्तार देगी. बीआरओ ने अब तक भारत-चीन बॉर्डर पर 3,346 किलोमीटर लंबी करीब 61 ऐसी सड़कों का निर्माण पूरा कर लिया है, जो रणनीतिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण हैं. इनमें 2,400 किलोमीटर तक की सड़क हर मौसम के अनुकूल हैं. बीआरओ 2019 में 11 भारत-चीन रणनीतिक सड़कों का निर्माण कार्य पूरा कर लेगा.