वैशाख महीने के आखिरी तीन दिनों को बहुत ही पवित्र और शुभ माना गया हैं। जो कि इस बार 14, 15 और 16 मई है। इन दिनों में स्नान-दान, व्रत और पूजा करने से पूरे वैशाख मास में किए गए शुभ कामों का पुण्य मिलता है। स्कन्द पुराण के वैष्णव खण्ड के अनुसार वैशाख मास की आखिरी तीन तिथियां अक्षय पुण्य देने और हर तरह के पाप खत्म करने वाली होती हैं। इसलिए इन्हें पुष्करिणी कहा गया है। इनमें शनिवार को त्रयोदशी, रविवार को चतुर्दशी और सोमवार को पूर्णिमा रहेगी।
भगवान के तीन अवतार हुए इसलिए खास हैं ये दिन
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि इन तीन दिनों में भगवान् विष्णु के तीन अवतार अवतरित हुए हैं। त्रयोदशी को नृसिंह जयंती, चतुर्दशी को कूर्म जयंती तथा पूर्णिमा को बुद्ध जयंती (बुद्ध पूर्णिमा)। इसलिए वैशाख के अंतिम दिनों में स्नान, दान, पूजन अवश्य करना चाहिए।
एकादशी से पूर्णिमा तक पांच दिन भी खास
ग्रंथों में बताया गया है कि वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को समुद्र मंथन से अमृत प्रकट हुआ था। द्वादशी को भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा की। त्रयोदशी को भगवान ने देवताओं को अमृत पिलाया। इसके बाद चतुर्दशी को राक्षसों को मारा और पूर्णिमा के दिन सभी देवताओं को उनका साम्राज्य मिल गया।
इसलिए देवताओं ने संतुष्ट होकर वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की आखिरी तीन तिथियों को वरदान दिया। देवताओं ने कहा कि वैशाख की ये तीन शुभ तिथियां मनुष्यों के पाप नाश करने वाली रहेंगी। इनके शुभ प्रभाव से ही उन्हें पुत्र-पौत्र और परिवार का सुख मिलेगा। इन्हीं के प्रभाव से समृद्धि बढ़ेगी। स्कंद पुराण में कहा गया है कि जो पूरे वैशाख में सुबह जल्दी तीर्थ स्नान न कर सका हो, वो सिर्फ इन तिथियों में सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदियों के जल से नहा ले तो उसे पूरे महीने का पुण्य फल मिल जाता है।
क्या करें इन दिनों में…
वैशाख मास की आखिरी तीन तिथियों में गीता पाठ करने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है।
इन तीनों दिनों में श्रीविष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से कभी न खत्म होने वाला अनंत गुना पुण्य फल मिलता है।
वैशाख पूर्णिमा को हजार नामों से भगवान विष्णु का दूध और जल से अभिषेक करता है उसे वैकुण्ठ धाम मिलता है।
वैशाख के आखिरी तीन दिनों में श्रीमद् भागवत सुनने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।