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पिता को नक्सलियों ने गांव से भगाया, बेटे ने देश में मान दिलाया

नारायणपुर। छत्तीसगढ़ के सुदूर गांव अबूझमाड़ के रहने वाले 12 साल के राकेश वर्दा को चार साल पहले अपने पिता के साथ ओरछा गांव छोड़ना पड़ा था। बेटे की खेल में रूचि को देखते हुए नक्सलियों ने पिता को धमकी दी ओर बेटे  को खेलना बंद करने को कहा। ऐसा ना करने पर नक्सलियों ने राकेश के पिता को गांव छोड़ने को कहा, पिता ने बेटे की रुचि को प्राथमिकता दी और उसे कुतुलगरपा गांव ले आए, यहां 8 साल के राकेश वर्दा को छत्तीसगढ़ स्पेशल टास्क फोर्स में काम करने वाले मनोज प्रसाद मिले जो मल्लखंब के प्रशिक्षक हैं।

नई जगह में राकेश के जज्बे को एक नई रौशनी मिली और महज 12 वर्ष की उम्र में राकेश ने महाराष्ट्र के गोरेगांव में आयोजित राष्ट्रीय मल्लखंब हैंडस्टैंड प्रतियोगिता का खिताब अपने नाम कर लिया। राकेश ने 1 मिनट 6 सेकेंड तक हैंडस्टैंड करते हुए न सिर्फ विजेता का खिताब जीता बल्कि भारत और विश्व के लिए एक नया कीर्तिमान भी स्थापित कर दिया। इससे पहले भारत का बेस्ट रिकार्ड 30 सेकेंड का था।

मल्लखंभ हैंडस्टैंड प्रतियोगिता के लिए देश भर के 1000 खिलाड़ी शामिल हुए थे। खास बात ये है कि दूसरा स्थान भी अबूझमाड़ के रहने वाले 11 साल के राजेश कोर्राम ने प्राप्त किया। इस प्रदर्शन के साथ ही राकेश का नाम इंडिया बुक आफ रिकार्ड्स में दर्ज हो गया है। राकेश ने इस प्रदर्शन के लिए गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड के लिए भी आवेदन किया है, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। लेकिन इस आवेदन के लिए जरूरी 80 हजार रूपए की फीस भर पाने में राकेश समर्थ नहीं है। राकेश की इस उपलब्धि के लिए मुख्यमंत्री ने हाथ मिलाकर उसे बधाई दी और गिनीज बुक आफ रिकार्ड्स के नामांकन में राकेश की मदद के लिए मुख्यमंत्री ने कलेक्टर नारायणपुर को निर्देश दिए।

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राष्ट्रीय मल्लखंब हैंडस्टैंड प्रतियोगिता जीतने वाले राकेश वर्दा समेत छत्तीसगढ़ के 10 खिलाड़ियों का चयन हरियाणा में आयोजित होने वाले खेलो इंडिया प्रोग्राम के लिए किया गया है। अबूझमाड़ के जंगलों से निकलकर देश में पहचान बनाने वाले 12 साल के राकेश वर्दा के प्रदर्शन से पूरा छत्तीसगढ़ गौरवांवित है।