आज देश भर के किसान रीजनल कंप्रेहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) समझौते के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का प्रतिनिधिमंडल हर जिसे में आरसीईपी के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम जिला कलेक्टर कार्यालयों को ज्ञापन सौंपेंगे। इस देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आयोजन राष्ट्रीय किसान महासंघ ने किया है।
जानिए क्या है आरसीईपीरीजनल कंप्रेहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) कई देशों के बीच होने वाला एक मुक्त व्यापार समझौता है। जिसमें आसियान और एशिया के देश शामिल हैं। इसका उद्देश्य एशिया-प्रशांत की विकासशील देशों की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को एक दूसरे के विकास में सहायक बनाना है। इस समझौते में आसियान देशों के अलावा चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं। इन देशों के बीच में एक मुक्त व्यापार समझौता होने वाला है जिसके बाद इन देशों के बीच बिना आयात शुल्क दिए व्यापार किया जा सकेगा। हालांकि यह समझौता अभी तक पूरी तरह से अमल में नहीं लाया जा सका है।
क्यों विरोध कर रहे हैं किसान
किसान संगठन का कहना है कि इस मुक्त व्यापार समझौते में डेयरी उत्पाद को शामिल करने के प्रस्ताव है। अगर यह लागू हो गया तो विदेशों से भारत में दूध का आयात किया जाएगा। इससे दूध उत्पादन करने वाले भारतीय किसानों के आमदनी प्रभावित हो जाएगी।
देश में दूध के दाम में भी गिरावट देखने को मिल सकती है। क्योंकि इस समझौते में शामिल न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के किसानों के पास दूध का उत्पादन खपत से बहुत ज्यादा है। वे जैसे ही अपने डेयरी उत्पाद को भारतीय बाजार में प्रस्तुत करेंगे वैसे ही देशी दूध उत्पादक किसानों की आर्थिक स्थिति खराब हो जाएगी।