रिलीज के तीसरे दिन भी आमिर खान की फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ का बॉक्स ऑफिस पर बुरा हाल रहा, जिससे बॉलीवुड में हैरानी की लहर है। वैसे पिछले कुछ समय से जिस तरह भारत का फ़िल्मी दर्शक जागा है, उससे बालीवुड को हैरान नहीं, बल्कि परेशान होना चाहिए।
बॉलीवुड पर कब्ज़ा जमाये माफिया ने आज तक हिन्दी फिल्मों के संवादों, दृश्यों, गीतों इत्यादि के माध्यम से जानबूझकर हिन्दुओं की आस्थाओं और परम्पराओं को जिस प्रकार नीचा दिखाने का काम किया है, अब हिन्दू दर्शक उसे बर्दाश्त नहीं कर रहा। आप पुरानी फ़िल्में देख लीजिए लगभग सभी में हिन्दू प्रतीक (तिलक, चुटिया, पूजा पाठ इत्यादि) वाले चरित्र को अपराधी, बलात्कारी, सूदखोर, निर्दय, मूर्ख, हिंसक, धोखेबाज के रूप में दिखाया जाता था, वहीँ अन्य धर्मों के मानने वालों को दयालु, भरोसेमंद, ईमानदार बताया जाता था। मंदिरों में देवी देवताओं की मूर्तियों के सामने लूट, हिंसा, छेड़छाड़, बलात्कार जैसे अपराध दिखाकर आस्थावान हिन्दुओं के विश्वास को तोड़ने का प्रयास लंबे समय तक चलता रहा, वहीँ चर्च या दरगाह जाने पर हिंदू किरदार की मनोकामना पूरी होने का प्रोपेगंडा भी चलाया गया।
वामपंथी और मिशनरी शिक्षा व्यवस्था और मीडिया से बुरी तरह प्रभावित आम हिन्दू अधिकांश फिल्मों में अपने धर्म पर लगातार की जा रही चोट को कभी समझ नहीं पाया। यहाँ तक कि वह फिल्मों को हिन्दू मुस्लिम के नजरिए से देखता ही नहीं था। लेकिन सोशल मीडिया के प्रसार ने आस्थावान हिन्दू का हिंदुत्व जगा दिया है, तो वह फिल्मों व धारावाहिकों को अब उस नजरिए से देखने लगा है, जिस नजरिए से उसे सात दशक पहले ही देखना शुरू कर देना चाहिए था। हिन्दू विरोधी प्रोपेगंडा फ़ैलाने में आमिर खान बहुत चतुराई से काम करता आया है। चाहे टीवी पर लंबे समय तक आया कार्यक्रम सत्यमेव जयते हो या दिसंबर 2014 में आई फिल्म “पीके”, उनमें पूरी तरह हिन्दू आस्थाओं, परम्पराओं और देवी देवताओं का उपहास उड़ाया गया था। लेकिन मीडिया पर कांग्रेसी और वामपंथी विचारधारा वाले लोगों का कब्ज़ा होने के कारण इनके विरोध की खबरों को दबा दिया जाता था। उल्टा पीके जैसी वाहियात फिल्मों की अत्यधिक वाहवाही करके उन्हें सुपर हिट करने के लिए वामपंथी बुद्धिजीवी और मुंबई के माफिया मिल कर काम करते थे।
हिन्दुओं में तब से आमिर खान के खिलाफ गुस्सा बढ़ने लगा, लेकिन आमिर खान लोकप्रियता के अहंकार में अपना सांप्रदायिक और राजनीतिक प्रोपेगंडा चलाते रहे। अपनी नयी फिल्म लाल सिंह चड्ढा में भी आमिर खान ने इस्लाम को तो बड़ा पवित्र धर्म बताया है, जबकि हिन्दू पद्धति से होने वाले पूजा पाठ को दंगे फ़ैलाने वाला मलेरिया कहा है। यह किसी से छुपा हुआ नहीं है कि बालीवुड में जितने भी खान हैं, वे सभी अपनी फिल्मों में इस्लाम और पाकिस्तान का गौरव गान करने वाले दृश्य, संवाद और गीत अवश्य रखते हैं।
लाल सिंह चड्ढा फिल्म में भी कारगिल युद्ध का एक सीन है, जिसमें भारतीय सैनिक को मंदबुद्धि दिखाया गया है, जबकि पाकिस्तानी सैनिक को सम्मानजनक ढंग से दिखाया गया है। यह बात सभी को पता है कि सेना के बेहतरीन जवानों को कारगिल की लड़ाई में लड़ने के लिए भेजा गया था। उन सैनिकों की सख्त ट्रेनिंग हुई थी, लेकिन फिल्म में भारतीय सेना का अपमान करने के लिए भारतीय सैनिक को जानबूझकर मंदबुद्धि दिखाया गया है। फिल्म में पाकिस्तानी सैनिक आमिर के किरदार लाल सिंह चड्ढा से कहता है – मैं नमाज करके प्रार्थना करता हूँ, तुम भी ऐसा क्यों नहीं करते। इसके जवाब में लाल सिंह चड्ढा कहता है – “मेरी मां ने कहा था कि सारे पूजा पाठ मलेरिया हैं और इसी के कारण दंगे होते हैं।” इस फिल्म के रिलीज होने से पहले ही हिन्दू संगठनों ने बायकाट की अपील कर दी थी, पहली बार साधू संतों ने भी फिल्म के बायकाट की अपील की। इसका असर पहले दिन ही फिल्म की कमाई पर दिखाई दिया। लगभग 200 करोड़ रुपए के बजट वाली इस फिल्म ने पहले दिन सिर्फ साढ़े ग्यारह करोड़ रुपए और दूसरे दिन सवा सात करोड़ रुपए कमाए थे। तीसरे दिन शनिवार (13 अगस्त, 2022) को भी सिर्फ पौने नौ करोड़ रुपए ही कमा पाई।
असल में फिल्म के बायकाट का कारण दो साल पहले 15 अगस्त 2020 को ही तय हो गया था। आमिर खान ने उस दिन इस्तांबुल में राष्ट्रपति निवास में तुर्की के कट्टरपंथी राष्ट्रपति एर्दोगन की पत्नी एमिन एर्दोगन से मुलाकात की थी। 15 अगस्त को ही तुर्की की प्रथम महिला एमिन एर्दोगन ने सोशल मीडिया पर आमिर खान के साथ तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा था, “मुझे इस्तांबुल में विश्व प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता, फिल्म निर्माता और निर्देशक आमिर खान से मिलकर बहुत खुशी हुई। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि आमिर ने अपनी नवीनतम फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ की शूटिंग तुर्की के विभिन्न हिस्सों में पूरी करने का फैसला किया है।” एमिन एर्दोगन ने अपने इस ट्विट के साथ आमिर खान के साथ कुछ फोटो भी शेयर किए थे। इस ट्वीट ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया। इसका कारण यह था कि फरवरी 2020 में नई दिल्ली में दंगों के बाद तुर्की के कट्टरपंथी राष्ट्रपति एर्दोगन ने भारत की तीखी आलोचना की थी।
इतना ही नहीं एर्दोगन ने कश्मीर के मुद्दे पर भी पाकिस्तान का समर्थन किया था। लोगों को यह भी याद है कि आमिर खान ने यह कर सनसनी फैला दी थी कि उनकी पत्नी ने नागरिकता संशोधन क़ानून पर प्रतिक्रिया देते हुए कह दिया था कि उन्हें हिन्दुस्तान में रहने से डर लगता है।