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आज से शुरू हुआ आषाढ़ मास : इस महीने 10 बड़े तीज-त्यौहार और पर्व

अनादि न्यूज़ डॉट कॉम, धर्म दर्शन। आज 15 जून, दिन बुधवार से आषाढ़ मास की शुरुआत हो गई है। इस महीने में देवशयनी एकादशी, योगिनी एकादशी, मिथुन संक्रांति, प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि, संकष्टी चतुर्थी, और जगन्नाथ रथ यात्रा जैसे कई त्योहार आएंगे। धर्म ग्रंथों के मुताबिक आषाढ़ महीने के स्वामी भगवान विष्णु हैं। इस हिंदी महीने में किए गए व्रत-उपवास से बीमारियां दूर रहती हैं और उम्र बढ़ती हैं। वहीं आषाढ़ मास में शिव पूजा और स्नान-दान से जाने- अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। इसी महीने से भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा में चले जाते हैं और चातुर्मास शुरू हो जाता है।

आषाढ़ महीना ज्योतिषीय नजरिये से भी बहुत खास होता है। इस महीने के दौरान ही सायन और निरयण दोनों तरह से सूर्य कर्क राशि में आ जाता है। जिससे दक्षिणायन शुरू होता है। आषाढ़ मास में ही ही वर्षा ऋतु की शुरुआत हो जाती है। इस महीने सूर्य अपनी मित्र राशि में रहता है।

ये है खास त्योहार-पर्व : 1 जुलाई को जगन्नाथ रथ यात्रा और 10 को देवशयनी एकादशी

24 जून, शुक्रवार (योगिनी एकादशी) : 5 जुलाई को आषाढ़ के कृष्ण पक्ष की एकादशी रहेगी। इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार और योगीराज श्रीकृष्ण की पूजा की भी परंपरा है।
29 जून, बुधवार (आषाढ़ अमावस्या) : इसे हलहारिणी अमावस्या कहा जाता है। इस पर्व पर स्नान-दान के साथ पितरों के श्राद्ध करने की परंपरा है साथ ही इस दिन धरती देवी की विशेष पूजा की जाती है।


30 जून, गुरुवार (गुप्त नवरात्रि की शुरुआत, चंद्र दर्शन) : इस दिन से देवी उपासना के लिए गुप्त नवरात्रि शुरू होगी। इसमें साधना का विशेष महत्व रहेगा। भक्त तंत्र, मंत्र साधना करेंगे।
01 जुलाई, शुक्रवार (जगन्नाथ रथ यात्रा) : रथ यात्रा महोत्सव मनाया जाएगा। भगवान जगन्नाथजी की यात्रा का निकलेगी। इस दिन पुष्य नक्षत्र का संयोग भी रहेगा।
03 जुलाई, रविवार (विनायक चतुर्थी) : सौभाग्य और सुख-समृद्धि की कामना से इस दिन भगवान गणेशजी की पूजा होगी और व्रत रखा जाएगा।

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8 जुलाई, शुक्रवार (भड़ली नवमी) : राजस्थान और मध्यप्रदेश सहित कुछ राज्यों में ये तिथि विवाह और सभी मांगलिक कामों के लिए अबूझ मुहूर्त माना जाता है।
10 जुलाई, रविवार (देवशयनी एकादशी, चातुर्मास प्रारंभ) : इस संबंध में मान्यता है कि इस तिथि से चार माह के लिए भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करने चले जाते हैं और फिर देवउठनी एकादशी पर जागते हैं। इसी दिन से चातुर्मास भी शुरू हो जाएंगे। इन चार माह में मांगलिक व शुभ कार्य वर्जित रहते हैं।


13 जुलाई, बुधवार (गुरु पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा) : इसी तिथि पर आषाढ़ मास खत्म हो जाएगा और 25 जुलाई से सावन महीने की शुरुआत होगी। इस दिन महर्षि वेदव्यास जी की पूजा की जाती है। जिन्होंने महाभारत सहित 18 पुराणों की रचना की है।

संक्रांति से शुरू होगा आषाढ़ मास
15 जून, बुधवार को दोपहर करीब 12 बजे सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करेगा और अगले महीने 16 जुलाई तक इसी राशि में रहेगा। सूर्य के मिथुन राशि में प्रवेश से मिथुन संक्रांति का योग बनेगा। पुण्य काल बुधवार दोपहर 12.18 से शाम 7.20 तक है। इस दिन सूर्य की मिथुन संक्रांति का पुण्यकाल करीब 7 घंटे 2 मिनट का रहेगा। सूर्य के राशि परिवर्तन से देश-दुनिया सहित सभी राशियों पर असर पड़ेगा। संक्रांति पर्व के साथ आषाढ़ मास की शुरुआत होना शुभ संयोग है।